Samvidhan Hatya Diwas:इतिहास के पन्नों में दर्ज 25 जून 1975 का वह दिन जिसे राजनीतिक दृष्टिकोण से काला अध्याय,काला दिवस और संविधान हत्या दिवस के नाम से भी जाना जाता है लेकिन ऐसा क्यों?इसके पीछे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का वह फैसला है जिसको लेकर 50 साल बाद आज भी भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को घेरती आ रही है।दरअसल,25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया था।यह आपाताकल 21 महीने चला जो 25 मार्च 1977 को समाप्त हुआ था।
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25 जून 2025 को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ
25 जून 2025 को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ है इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी अलग-अलग राज्यों में जिले और बूथ स्तर के कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है जिसका मकसद देश के लोगों को लोकतंत्र के काले अध्याय की जानकारी देना है।25 जून को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपातकाल के दौरान मीसा एवं डी.आई.आर में निरुद्ध रहे राज्य के लोकतंत्र सेनानियों एवं दिवंगत लोकतंत्र सेनानियों की पत्नी अथवा पति को सम्मानित करने के साथ ही आपातकाल के दौर के अनुभवों को साझा किया जाएगा।
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देश भर में BJP मनाएगी ‘संविधान हत्या दिवस’
भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि,25 जून को देश में ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जाना चाहिए यह दिन 25 जून 1975 को भारत के संविधान को कुचलने की घटनाओं को याद दिलाता है।इस दिन उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले।यह भारतीय इतिहास का सबसे काला समय था इस दिन उन सभी लोगों के योगदान को याद किया जाता है जिन्होंने आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था।
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11 जुलाई 2024 को सरकार ने किया घोषित
आपको बता दें कि,11 जुलाई 2024 को भारत सरकार की ओर से एक राजपत्र अधिसूचना जारी की गई जिसमें 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया गया था।पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले को भाजपा लोकतंत्र की हत्या किए जाने का दिन बताती रही है।अगले महीने जब संसद सत्र की शुरुआत होने जा रही ऐसे में माना जा रहा है कि,सत्ता पक्ष कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों पर इस मुद्दे को लेकर हमलावर रहेगा।