Sambhal Jama Masjid: इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद में सफेदी कार्य शुरू कर दिया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की निगरानी में यह कार्य रविवार से प्रारंभ हुआ। पहले दिन 9 से 10 मजदूर कार्य में लगे और सफेदी का काम जामा मस्जिद की पश्चिमी दीवार से शुरू हुआ। इस दौरान एएसआई का कोई अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। मस्जिद कमेटी ने इस कार्य के लिए पूरी व्यवस्था की है और यह खर्चा मस्जिद कमेटी द्वारा ही वहन किया जाएगा।
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काम पूरा करने के लिए बढ़ाए जाएंगे मजदूरों की संख्या

बताते चले कि जामा मस्जिद प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष, जफर अली एडवोकेट ने बताया कि कोर्ट द्वारा सफेदी के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था, जिसमें से तीन दिन पहले ही समाप्त हो चुके हैं। ऐसे में प्रयास किया जा रहा है कि शेष समय में कार्य पूरा किया जा सके। इसके लिए सोमवार से मजदूरों की संख्या बढ़ा दी जाएगी। यदि फिर भी कार्य समय सीमा के भीतर पूरा नहीं हो पाता है, तो पुनः न्यायालय से समय बढ़ाने की मांग की जाएगी।
रंग के विवाद पर प्रतिक्रिया
जफर अली ने रंग को लेकर उठे विवाद को बेबुनियाद बताया और कहा कि जो रंग पहले से होता आ रहा है, वही रंग अब भी लगाया जा रहा है। उनका कहना था कि इस कार्य में कोई अनियमितता नहीं है और सभी मजदूरों तथा सामग्री की आपूर्ति एएसआई द्वारा की जा रही है।
हाई कोर्ट का आदेश और सफेदी की आवश्यकता

12 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएसआई को जामा मस्जिद की बाहरी दीवारों पर सफेदी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि सफेदी और समुचित लाइटिंग का काम बिना मस्जिद की संरचना को नुकसान पहुंचाए किया जाए। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने यह आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि सफेदी के साथ ही मस्जिद के ढांचे की शुद्धता को बनाए रखना जरूरी है।
पूर्व में एएसआई ने सफेदी की आवश्यकता से किया था इनकार
इससे पहले एएसआई ने सफेदी और मरम्मत की आवश्यकता से इनकार किया था और सिर्फ सफाई कराने की बात कही थी। हालांकि, कोर्ट ने सफाई के लिए निर्देश देने के बाद, अब एएसआई ने मस्जिद की सफेदी के काम को स्वीकार किया और उसे शुरू कर दिया।
12 मार्च को कोर्ट की सुनवाई और भविष्य की सुनवाई

12 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएसआई और मस्जिद कमेटी के बीच करार के उल्लंघन के मुद्दे पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने पूछा कि यदि मस्जिद कमेटी ने 1927 के करार का उल्लंघन किया है, तो एएसआई या सरकार ने करार निरस्त करने का नोटिस क्यों नहीं दिया? इसके साथ ही, न्यायालय ने यह भी पूछा कि एएसआई ने अपनी ड्यूटी क्यों नहीं निभाई और मस्जिद की सफेदी कैसे की जाती रही? इस मामले में अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी, जब इन सभी मुद्दों पर और चर्चा की जाएगी।
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