Saint Premanand Ashram Play Holi 2025: होली का पर्व इस बार वृंदावन में खास उल्लास के साथ मनाया गया। संत प्रेमानंद महाराज ने श्रीराधाकेलिकुंज आश्रम में अपने साधकों के साथ होली के रंगों में पूरी तरह डूबकर इस उत्सव का आनंद लिया। होली के इस पर्व ने न केवल वृंदावन के मंदिरों बल्कि आश्रम के वातावरण को भी रंगीन बना दिया।
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राधाजी को अर्पित की गुलाल

शनिवार को श्रीराधाकेलिकुंज में होली के उत्सव की शुरुआत विशेष रूप से हुई। संत प्रेमानंद महाराज ने पहले श्रीराधाजी को गुलाल अर्पित किया, उसके बाद रंगों की बौछार करते हुए आश्रम के साधकों के साथ होली खेली। इस दौरान वातावरण में हर्षोल्लास का माहौल था और साधक रंगों की उमंग में झूमते हुए होली के रसिया गीतों पर झूम रहे थे। जैसे ही संत प्रेमानंद महाराज ने रंगों की पिचकारी से अपने साधकों पर रंग डाले, सभी साधक आनंदित हो उठे।
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वृंदावन के मंदिरों में भी होली का उमंग
वृंदावन में वसंत पंचमी के बाद से ही होली का पर्व अपने चरम पर था। यहाँ के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालु होली के रंगों में सराबोर होकर नाचते-गाते नजर आ रहे थे। श्रीराधाकेलिकुंज आश्रम में होली के इस उल्लासपूर्ण आयोजन ने एक अलग ही रंगत पैदा कर दी।

संत प्रेमानंद के साथ साधकों ने होली का मजा लिया और मंदिरों में भी रंगों की मस्ती छाई रही।इस दिन श्रीराधाजी को फूल अर्पित करने के बाद गुलाल उड़ाया गया, और उसके बाद संत प्रेमानंद ने आश्रम के सभी साधकों के साथ होली खेली। इसके बाद ‘होरियान नंदवाना’ और ‘रसिया’ जैसे लोकप्रिय होली गीतों पर सभी ने झूमते हुए नृत्य किया। संत प्रेमानंद के साथ होली के इस अद्भुत उत्सव ने सभी को एक साथ मिलकर खुशी और उल्लास के साथ इस पर्व को मनाने का अवसर दिया।
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ब्रज में रंगों का पर्व, संत प्रेमानंद के साथ साधकों की होली

वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज द्वारा होली के आयोजन ने एक विशेष महत्व प्राप्त किया। इस बार होली के रंगों से न केवल वृंदावन की गलियाँ सजीं, बल्कि आश्रम और मंदिरों में भी यह पर्व एक नया आयाम लेकर आया। संत प्रेमानंद ने इस अवसर पर साधकों के साथ मिलकर धार्मिक माहौल में होली खेलते हुए एक साकारात्मक संदेश दिया, जिससे यह पर्व और भी खास बन गया।होली का यह पर्व ब्रज में विशेष रूप से मनाया जाता है, और संत प्रेमानंद की उपस्थिति में इसका उल्लास कई गुना बढ़ गया।