Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में पर्यटन की बढ़ती आय को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने राज्य में सड़कों के विस्तार के प्रयास तेज कर दिए हैं। इसी सम्बन्ध में मुख्यमंत्री धामी ने दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) से मुलाकात कर विभिन्न सड़कों के प्रस्ताव उनके समक्ष प्रस्तुत किए।
मुख्यमंत्री धामी ने देहरादून-मसूरी के बीच 40 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना की स्वीकृति के लिए केंद्रीय मंत्री गडकरी से आग्रह किया। उन्होंने बताया कि यह सड़क देहरादून के झाझरा गोल चक्कर से शुरू होकर मसूरी (Mussoorie) में लाइब्रेरी चौक (Library Chowk) पर समाप्त होगी। इस परियोजना से देहरादून-मसूरी (Dehradun-Mussoorie) के लिए अतिरिक्त कनेक्टिविटी प्रदान होगी, जिससे दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे और हिमाचल, पंजाब से आने वाले पर्यटकों को देहरादून शहर में प्रवेश किए बिना मसूरी जाने की सुविधा मिलेगी। इस परियोजना की लागत 3425 करोड़ रुपये आंकी गई है।
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नैनीताल जिले में कैंचीधाम बाइपास की स्वीकृति
मुख्यमंत्री धामी ने नैनीताल जिले में प्रसिद्ध कैंचीधाम (kainchidham) के लिए बाइपास निर्माण का भी प्रस्ताव रखा। कैंचीधाम ज्योलीकोट-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के किमी 24 पर स्थित है, जहां श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण जाम की स्थिति बनी रहती है। 1.900 किलोमीटर लंबे इस बाइपास के प्रस्ताव पर भी केंद्रीय मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति दी। यातायात के दबाव को कम करने के लिए देहरादून शहर में मोहकमपुर आरओबी से अजबपुर आरओबी तक के मार्ग को एलिवेटेड रोड में परिवर्तित किया जाएगा। लगभग 452 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को चालू वित्तीय वर्ष की योजना में शामिल किया जाएगा।
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देहरादून रिंग रोड और ऋषिकेश बाइपास
मुख्यमंत्री ने देहरादून में 51.59 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का भी प्रस्ताव रखा। वर्तमान में आशारोड़ी से झाझरा तक 12 किमी की लंबाई में कार्य चल रहा है, जबकि शेष कार्य के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। इसके अलावा, 1432 करोड़ रुपये की लागत वाले 17.88 किलोमीटर लंबे ऋषिकेश बाइपास (Rishikesh Bypass) के निर्माण की भी मांग की गई।
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राष्ट्रीय राजमार्ग में उच्चीकृत होंगे आठ मार्ग
मुख्यमंत्री ने 2016 में सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त छह मार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित करने की मांग की। इनमें खैरना-रानीखेत, बुआखाल-देवप्रयाग, देवप्रयाग-गजा-खाड़ी, पांडुवाखाल-नागचूलाखाल-बैजरो, बिहारीगढ़-रोशनाबाद और लक्ष्मणझूला-दुगड्डा-मोहन-रानीखेत शामिल हैं। उन्होंने गढ़वाल कुमाऊं को जोड़ने वाले 256.90 किलोमीटर लंबे मार्ग को भी राष्ट्रीय राजमार्ग में अधिसूचित करने पर जोर दिया।
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कुमाऊं क्षेत्र में रिंग रोड और बाइपास
मुख्यमंत्री ने कुमाऊं क्षेत्र में अफजलगढ़-भागूवाला बाइपास के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जो राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस बाइपास समेत केंद्र सरकार में विचाराधीन सड़क परियोजनाओं पर अविलंब वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति दी जाए। मुख्यमंत्री ने खटीमा शहर में रिंग रोड, हल्द्वानी बाइपास, पंतनगर एयरपोर्ट के लिए बाइपास के अलावा चंपावत, लोहाघाट और पिथौरागढ़ में बाइपास निर्माण के प्रस्ताव रखे। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के 13 में से 10 जिले विशुद्ध रूप से पर्वतीय हैं, जहां यातायात का मुख्य साधन सड़क ही है। इन मार्गों को आल वेदर रोड के रूप में निर्मित करना आवश्यक है। उन्होंने राज्य में सड़कों के विकास में केंद्र सरकार के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया।