भारत और इंडोनेशिया के बीच बढ़ते रिश्ते और संभावित सैन्य सहयोग पर चर्चा करना वाकई में दिलचस्प है। 26 जनवरी, 2025 को गणतंत्र दिवस परेड में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का मुख्य अतिथि बनना न केवल दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम देगा, बल्कि यह भारत की “लुक ईस्ट पॉलिसी” को और भी मजबूत करेगा।
लुक ईस्ट पॉलिसी का विस्तार

भारत का लुक ईस्ट पॉलिसी दक्षिण-पूर्व एशिया और आसियान देशों के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल है। इंडोनेशिया, जो आसियान का प्रमुख सदस्य है, के साथ भारत के रिश्तों में इस प्रकार की बढ़ोतरी भारत की रणनीतिक दिशा का हिस्सा है। गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति सुबियांतो की उपस्थिति इस नीति को एक मजबूत समर्थन देगी।
सैन्य सहयोग का विस्तार

भारत और इंडोनेशिया के बीच रक्षा सहयोग पहले ही कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं में देखने को मिल चुका है, जैसे कि ब्रह्मोस मिसाइल सौदा। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास और संयुक्त कार्यक्रम भी बढ़े हैं। गणतंत्र दिवस परेड में इंडोनेशिया की सैन्य टुकड़ी का हिस्सा होना और दिल्ली में सैन्य अभ्यास की शुरुआत इस रिश्ते को और भी मजबूती देगा। यह विशेष रूप से सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देशों के लिए साझा सुरक्षा हित हो सकते हैं, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में।
कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध
रक्षा सहयोग के साथ-साथ, भारत और इंडोनेशिया के व्यापारिक संबंध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग में भी विस्तार हो सकता है। राष्ट्रपति सुबियांतो की उपस्थिति इस कूटनीतिक मजबूती को और परिलक्षित करेगी, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई मिल सकती है।

आसियान देशों के साथ घनिष्ठता
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान एक आसियान देश की सैन्य टुकड़ी का हिस्सा होना भारत की नीति को दर्शाता है, जिसमें वह आसियान देशों के साथ अपनी कूटनीतिक, व्यापारिक, और सैन्य साझेदारी को प्राथमिकता दे रहा है। यह भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा पहल को भी मजबूत करता है, खासकर इंडोनेशिया जैसे महत्वपूर्ण देश के साथ।
सार्वजनिक और कूटनीतिक संदेश

राष्ट्रपति सुबियांतो का गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना भारत और इंडोनेशिया के बीच सामरिक, कूटनीतिक और आर्थिक रिश्तों को एक नई दिशा देगा। इससे दोनों देशों के नागरिकों को यह संदेश जाएगा कि भारत और इंडोनेशिया के रिश्ते न केवल प्रगाढ़ हो रहे हैं, बल्कि वे एक दूसरे के लिए एक अहम साझेदार भी बन रहे हैं।