भारत का 76वां गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2025 को धूमधाम से मनाया गया। इस दिन देश ने अपनी संविधान सभा द्वारा 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू करने के इतिहास को याद किया। यह दिन न केवल भारतीय लोकतंत्र के स्थायित्व का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की शहादत और संघर्ष की भी याद दिलाता है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्तव्यपथ पर पहुंचकर गणतंत्र दिवस के समारोह में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि….वे संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उसे सशक्त बनाए रखें। उन्होंने यह भी कहा कि हर भारतीय को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए राष्ट्र की प्रगति और विकास में भागीदार बनना चाहिए।

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प्रधानमंत्री मोदी का कर्तव्यपथ पर आगमन
गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्यपथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण था। कर्तव्यपथ, जो पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था, पर प्रधानमंत्री मोदी का आगमन देश की संस्कृति और परंपराओं को सम्मान देने के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतीक बन चुका है। कर्तव्यपथ पर प्रधानमंत्री का स्वागत भारतीय सेना के तीनों प्रमुखों द्वारा किया गया, जो भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख थे। इस स्वागत ने भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत और उनके बीच के गहरे संबंधों को प्रदर्शित किया।

तीनों सेनाओं के प्रमुखों का स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों प्रमुखों द्वारा किया गया। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे, भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी, और भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने मोदी जी को सम्मानित करते हुए उन्हें सलामी दी। यह दृश्य देश की सुरक्षा, बलिदान और पराक्रम का प्रतीक था। यह भारतीय लोकतंत्र और सैन्य शक्ति के बीच एक मजबूत समन्वय और विश्वास को दर्शाता है।

गणतंत्र दिवस की परेड और विशेष झांकियां
गणतंत्र दिवस की परेड का आयोजन कर्तव्यपथ पर हुआ, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों के विभिन्न अंगों ने भाग लिया। देश की ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक विविधता, और सैन्य शक्ति की झांकियां आकर्षण का केंद्र रही। इस वर्ष की परेड में खास तौर पर उन सैनिकों और वर्कर्स को श्रद्धांजलि दी गई, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सेवा की।
भारतीय सेना के विभिन्न बलों ने अपनी ताकत और साहस को प्रदर्शित किया, जिसमें विशेष रूप से महिला सैनिकों का योगदान उल्लेखनीय रहा।वहीं, विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झांकियां भी परेड में शामिल की गईं, जो भारतीय विविधता और एकता का प्रतीक थीं। प्रत्येक राज्य ने अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं, कलाओं और ऐतिहासिक धरोहरों को प्रदर्शित किया। विशेष रूप से, जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्वी राज्यों और अन्य क्षेत्रों की झांकियां देश की एकता और अखंडता को दर्शाती हैं।

प्रधानमंत्री का संबोधन और राष्ट्र के प्रति आभार
गणतंत्र दिवस के इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भारतीय संविधान की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह देश के प्रत्येक नागरिक की सोच, दृष्टिकोण और संघर्ष का मार्गदर्शन करता है।प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेनाओं की वीरता और उनके योगदान की सराहना की।
उन्होंने कहा, “हमारे सशस्त्र बल देश की सुरक्षा में हर समय तत्पर रहते हैं, उनका साहस और बलिदान अनमोल है।” उन्होंने भारतीय सेना की महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए प्रयासों की भी सराहना की और इस वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल महिला सैनिकों का विशेष रूप से सम्मान किया।

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गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिकता और महत्व
गणतंत्र दिवस का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय संविधान की संप्रभुता के संदर्भ में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दिन भारत के लोकतंत्र की मजबूती और देशवासियों के सामूहिक संघर्ष का प्रतीक है। गणतंत्र दिवस न केवल हमारे संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों का उत्सव है, बल्कि यह हमारे संघर्ष और बलिदान की कहानी भी सुनाता है।