Supreme Court On CAA: केंद्र की मोदी सरकार की ओर से जब से सीएए को लागू करने की अधिसूचना जारी की गई है तभी से देश में इसके खिलाफ विरोध में उतरने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है.सीएए के विरोध में कोर्ट में कुल 237 याचिकाएं दायर की गई थी,इस मामले की सुनवाई कोर्ट अब 9 अप्रैल को करेगी.कोर्ट ने मोदी सरकार से सीएए पर जवाब मांगा है.हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डी.वाई चंद्रचूड़,जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
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सरकार ने कोर्ट से मांगा समय
सुप्रीम कोर्ट ने आज नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ 200 से अधिक दायर याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें कोर्ट ने कहा कि,सीएए से किसी की भी नागरिकता नहीं छिनेगी.कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीएए मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है.याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में बताया कि,सीएए कानून पर रोक लगाई जाए और इस मामले को बड़ी बेंच के सामने भेजा जाए।
9 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद केन्द्रई सरकार को राहत दी है और नागरिकता संशोधन अधिनियम पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि,9 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई की जाएगी तब तक 3 सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को इसका जवाब देना होगा।याचिकाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में बताया कि,सीएए का नोटिफिकेशन 4 साल 3 महीने के बाद जारी किया गया है…अगर ऐसे में इस कानून के तहत नागरिकता देना शुरु हुआ तो उसे वापस लेना संभव नहीं होगा इसलिए सीएए पर रोक लगाई जाए।
ओवैसी ने भी दायर की याचिका
आपको बता दें कि,सीएए के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है.आईयूएमएल ने अपनी याचिका में कहा है कि,कानून में धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है.इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अलावा एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और केरल सरकार ने भी सीएए के खिलाफ याचिकाएं दायर की है।
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