आजकल समाज में शादी को लेकर युवतियों के नजरिए में काफी बदलाव आया है। पहले जहां शादी को लेकर एक पारंपरिक सोच और दबाव था, वहीं अब बहुत सी लड़कियां शादी के नाम से कन्नी काट रही हैं। वे न केवल शादी को जरूरी नहीं मानतीं, बल्कि यह भी समझती हैं कि शादी करना एक बोझ हो सकता है। यह ट्रेंड समाज में तेजी से बढ़ रहा है और इसके पीछे कई कारण हैं जो महिलाओं के व्यक्तिगत अनुभव, उनके अधिकार और उनके जीवन के प्रति सोच को दर्शाते हैं।
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स्वतंत्रता और व्यक्तिगत जीवन
आजकल की लड़कियां पहले से कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होती हैं। वे अपने करियर, शिक्षा और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देती हैं। शादी को लेकर उनके विचार में बदलाव इसलिए आया है क्योंकि वे समझती हैं कि शादी के बाद उनकी स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। आज की महिलाएं अपने जीवन में सुरक्षा, स्वतंत्रता और आत्मसम्मान चाहती हैं, जो शादी के बाद कभी-कभी कम हो जाता है।
पारंपरिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाएं
समाज में शादी को लेकर जो पारंपरिक दबाव और अपेक्षाएं होती हैं, वह भी लड़कियों के मानसिक दबाव का कारण बन सकती हैं। एक ओर जहां परिवारों से शादी करने की उम्मीद होती है, वहीं दूसरी ओर समाज में महिला को एक स्थिर जीवन और बच्चों की परवरिश का जिम्मा भी सौंप दिया जाता है। यह दबाव उन लड़कियों के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से कठिन हो सकता है, जो शादी से बाहर जीवन जीना चाहती हैं।
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प्यार और रिश्तों में विश्वास की कमी
आजकल की लड़कियों के लिए प्यार और रिश्ते की सोच बदल चुकी है। उन्होंने देखा है कि बहुत से रिश्ते समय के साथ टूट जाते हैं या उनमें धोखा मिलता है। ऐसे में शादी के विचार से भागना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है। वे मानती हैं कि किसी और पर पूरी तरह से निर्भर रहना एक असुरक्षा की भावना पैदा कर सकता है, और वे अपने व्यक्तिगत जीवन को इस असुरक्षा से बचाने के लिए शादी से बचती हैं।
शादी के बाद जीवन की जटिलताएं
शादी के बाद की जटिलताएं भी लड़कियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। जिम्मेदारियों का बढ़ना, परिवार के साथ सामंजस्य बिठाना, और खासकर बच्चों की परवरिश जैसी समस्याएं, कई महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। इस वजह से वे शादी को स्थगित करने या शादी से ही बचने का निर्णय लेती हैं।
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लॉन्ग टर्म में हो सकते हैं नुकसान
हालांकि, शादी के प्रति इस बदलते दृष्टिकोण के कुछ दीर्घकालिक प्रभाव भी हो सकते हैं। अगर कोई महिला शादी से पूरी तरह कन्नी काटती है, तो अकेलेपन का अनुभव और सामाजिक एकाकीपन का सामना कर सकती है। वृद्धावस्था में शारीरिक और मानसिक सहायता की आवश्यकता हो सकती है, और ऐसी स्थिति में एक साथी की अहमियत और अधिक महसूस हो सकती है। इसके अलावा, परिवार की जिम्मेदारियां और बच्चों का पालन-पोषण भी कई बार अकेले उठाना कठिन हो सकता है।