Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र (Maharashtra) में हुए विधानसभा चुनाव को एक माह होने वाला है लेकिन अब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है।महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में महायुति गठबंधन को जीत मिली जिसमें सबसे अधिक 132 सीटें जीतकर बीजेपी गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका के रुप में सामने आई।हालांकि इसके बावजूद महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर कई दिनों तक विचार-विमर्श का दौर चला जिसका कारण महायुति में आपसी नाराजगी रही।
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महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार के बाद दिखने लगा आपसी मनमुटाव

महाराष्ट्र को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के रुप में नया मुख्यमंत्री मिल गया है इसके करीब 10 दिनों के बाद देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट के लिए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ।इस बीच मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मंत्री अपने-अपने विभागों का इंतजार कर रहे हैं लेकिन महायुति सहयोगी दलों के कुछ नाराज विधायकों ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है इसमें सबसे प्रमुख नाम एनसीपी के कद्दावर नेता छगन भुजबल का है जिन्होंने मंत्री ना बनाए जाने पर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी है।
मंत्री ना बनाए जाने से नाराज हुए छगन भुजबल

छगन भुजबल महाराष्ट्र की राजनीति में ओबीसी समुदाय के एक कद्दावर नेता हैं जो अब पूरी तरह से बगावत पर उतर आए हैं।छगन भुजबल ने अजित पवार का उस समय साथ दिया जब वह एनडीए के साथ जा रहे थे लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री ना बनाए जाने से नाराज छगन भुजबल अब विकल्प की तलाश कर रहे हैं।उन्होंने कहा है कि,कार्यकर्ताओं से बातचीत कर आगे की योजना के बारे में कुछ बताएंगे लेकिन जानकारों का मानना है कि,छगन भुजबल के सामने शरद पवार के पास वापस जाने के अलावा दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है।
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मराठा आंदोलन का विरोध छगन भुजबल को भारी पड़ा

महायुति में शामिल एनसीपी,बीजेपी और शिवसेना तीनों दलों के बीच आपसी सहमति बनने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो फिर आखिर छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) को मंत्री क्यों नहीं बनाया इसके पीछे कई कारण हैं।जानकार बताते हैं कि,मराठा आंदोलन के समय छगन भुजबल अजित पवार के सामने अलग रुख अख्तियार किए हुए थे जिस समय मनोज जरांगे मराठा आंदोलन को लेकर सक्रिय थे तब अजित पवार उनके खिलाफ कुछ बोलने से बच रहे थे लेकिन छगन भुजबल खुलकर मनोज जरांगे का विरोध कर रहे थे इससे एनसीपी को चुनाव में नुकसान हो सकता था लेकिन छगन भुजबल अपने फैसले पर अडिग थे।
छगन भुजबल के सामने अब क्या ऑप्शन?
अजित पवार (Ajit Pawar) को ऐसे समय में लगने लगा छगन भुजबल उनके लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले हैं लेकिन ओबीसी वोटों के कटने के डर से चुनाव से पहले तक उन्होंने उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया अब जब चुनाव में एनसीपी ने अपने दम पर अच्छी संख्या में सीटें हासिल कर ली तो अजित पवार ने छगन भुजबल के लिए मन में रखी अपनी नाराजगी को अब साफ तौर पर जाहिर कर दिया है।