RBI on Inflation: गर्मी के बाद अब बारिश के चलते टमाटर, आलू और प्याज सहित हरी सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल (Inflation) देखने को मिल रहा है। इसी बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि खुदरा महंगाई के चार फीसदी के लक्ष्य पर आने तक ब्याज दरों में कटौती का इंतजार करना होगा। शक्तिकांत दास ने कहा, “महंगाई की मौजूदा दर और उसे चार फीसदी पर लाने के लक्ष्य के बीच अंतर को देखते हुए नीतिगत दर में बदलाव का सवाल अभी कोई मायने नहीं रखता है।
जब हम टिकाऊ आधार पर खुदरा महंगाई को चार फीसदी पर लाने की दिशा में बढ़ेंगे, तभी रुख में बदलाव के बारे में सोच सकते हैं। महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने का काम उम्मीद के मुताबिक आगे बढ़ रहा है, लेकिन चार फीसदी का लक्ष्य अंतिम पड़ाव है, जो आसान नहीं है।”
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महंगाई के अनुमान
आरबीआई ने जून में पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा महंगाई चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। 2024-25 की पहली तिमाही में यह 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रह सकती है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने वाले कई तत्व अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। बीते वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर बहुत मजबूत थी और यह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी मजबूत बनी हुई है। जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने कहा था कि निजी खपत बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में भी सुधार देखने को मिल रहा है। इन वजहों से आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की वृद्धि दर को सात फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी कर दिया है।
खाद्य महंगाई का असर
शक्तिकांत दास ने कहा कि मार्च-अप्रैल के दौरान मुख्य महंगाई में और नरमी देखने को मिली, लेकिन खाने-पीने की वस्तुओं की ऊंची कीमतों के कारण इसका असर नहीं दिखा। कुछ नरमी के बावजूद दालों और सब्जियों की महंगाई दोहरे अंकों में बनी रही। सर्दियों के मौसम में मामूली सुधार के बाद गर्मियों में सब्जियों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। जून, 2023 के बाद से लगातार 11वें महीने मुख्य महंगाई में नरमी रही।
रेपो दर में कटौती का दबाव
आरबीआई पर रेपो दर में कटौती का दबाव बढ़ने लगा है। केंद्रीय बैंक की ब्याज दर निर्धारण समिति के बाहरी सदस्य जयंत आर वर्मा और आशिमा गोयल रेपो दर (Repo Rate) में कम-से-कम 0.25 फीसदी कटौती की वकालत कर रहे हैं। रेपो दर में लगातार आठ बार से कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह 6.5 फीसदी पर बनी हुई है।
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खुदरा महंगाई के आंकड़े
अर्थशास्त्रियों का दावा है कि सब्जियों की कीमतें बढ़ने के कारण जून में खुदरा महंगाई बढ़कर 4.80 फीसदी पर पहुंच सकती है। मई में यह 4.75 फीसदी थी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य आर्थिक सलाहकार कनिका पसरीचा ने कहा, “अनाज व दालों के साथ सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि ने खाद्य महंगाई को उच्च स्तर पर बनाए रखा।” सरकार जून के खुदरा महंगाई के आंकड़े शुक्रवार को जारी करेगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट किया कि जब तक खुदरा महंगाई दर चार फीसदी पर नहीं आ जाती, तब तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं की जा सकती। महंगाई पर नियंत्रण पाने की दिशा में आरबीआई की नीति आगे बढ़ रही है, लेकिन यह रास्ता चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
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