RBI Credit Policy: आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक आयोजित हो रही है, और इसकी घोषणा शुक्रवार सुबह की जाएगी। इस बैठक में लिए गए निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। खासकर, रेपो दर को लेकर चर्चा चल रही है, जिसे लेकर विशेषज्ञों ने अपनी भविष्यवाणियाँ व्यक्त की हैं।
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रेपो रेट में कटौती की संभावना

विशेषज्ञों का मानना है कि एमपीसी लगभग पांच साल के अंतराल के बाद रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला कर सकती है। फिलहाल, रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है। पिछली बार मई 2020 में कोरोना महामारी के दौरान आरबीआई ने रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत की कमी कर इसे 4 प्रतिशत किया था। इसके बाद, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना करते हुए, आरबीआई ने मई 2022 से दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया, जो फरवरी 2023 में जाकर थमा।
रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती का अनुमान

डीबीएस ग्रुप रिसर्च की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि एमपीसी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करके इसे 6.25 प्रतिशत पर लाने के पक्ष में मतदान कर सकती है। उनका मानना है कि वैश्विक आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीति के आंकड़े ऐसी स्थिति में हैं, जिसमें दरों में कटौती की आवश्यकता हो सकती है। इसी संदर्भ में, बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च ने भी आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के आंकड़ों के आधार पर दरों में कटौती की संभावना जताई है।
उद्योग संगठनों की राय: दर में कटौती की उम्मीद
उद्योग संगठन एसोचैम ने भी कहा कि नीतिगत दर में कटौती करके इसे 6.25 प्रतिशत पर लाने की व्यापक उम्मीदें हैं। यह संकेत देता है कि औद्योगिक क्षेत्र और आर्थिक वृद्धि को और बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती आवश्यक हो सकती है। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में भी इस बात की संभावना जताई गई है कि मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है।
वैश्विक परिस्थितियों के कारण कटौती की संभावना कम

हालांकि, यस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी ने कहा कि इस बैठक में आरबीआई द्वारा दरों में कटौती की संभावना नहीं दिखती। उनके अनुसार, वैश्विक परिस्थितियां इस समय दरों में कटौती के लिए प्रतिकूल बनी हुई हैं। उनका मानना है कि आरबीआई को अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों और मुद्रास्फीति पर नजर रखते हुए अपने फैसले लेने होंगे, जो वर्तमान में दरों में कटौती के अनुकूल नहीं हो सकते हैं।
इस समय, जब अर्थव्यवस्था वैश्विक दबावों का सामना कर रही है, एमपीसी की बैठक के परिणाम भारतीय बाजारों और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होंगे। इस बैठक के बाद होने वाली घोषणा से यह स्पष्ट होगा कि क्या आरबीआई आर्थिक स्थिति को सहज करने के लिए दरों में कटौती का कदम उठाएगा या वह मौजूदा दरों को स्थिर रखने का फैसला करेगा।
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