Ram Mandir: यूपी के अयोध्या में स्थित राम मंदिर में स्वर्ण रचित रामचरितमानस की स्थापना की गई है. नवरात्र के पहले दिन इसको गर्भ गृह में स्थापित किया गया है. इस गोल्ड प्लेटेड रामचरितमानस ग्रंथ के पन्ने सुनहरे और अलग-अलग हैं और ये देखने में काफी ज्यादा खूबसूरत ग्लो करते दिखाई देते हैं. रामलला के दर्शन करने वाले भक्त अब सोने की रामायण के भी दर्शन कर सकेंगे. बता दे कि इस रामायण को बनाने पर लगभग पांच करोड़ रुपये की लागत आई है.
किसने बनवाई स्वर्ण रामचरितमानस ?
राम मंदिर के पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि स्वर्ण रामचरितमानस को गर्भगृह में राम लला के पास स्थापित किया गया है. जिसका दर्शन अब रामलला के दर्शन के साथ श्रद्धालु कर सकेंगे. मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्नी सरस्वती ने काफी दिनों से श्रीरामलला को स्वर्णाक्षरों वाले रामायण को अर्पित करने का मन बनाया था. इनके संकल्प ने जल्दी ही इसे साकार रूप भी दिया. ताम्रपत्रों पर सोने के अक्षरों से रामायण लिखवा डाली.
रामचरितमानस में 10902 छंद और चौपाइयां
मिली जानकारी के मुताबिक, गर्भगृह में रामलला के विग्रह से 15 फीट दूरी पर एक पत्थर के आसन पर स्वर्ण रामचरितमानस को स्थापित किया गया है.सुब्रमण्यम के मुताबिक, स्वर्ण लिखित रामचरितमानस में 10902 छंद और चौपाइयां हैं. प्रत्येक पृष्ठ पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी हुई है. यह धार्मिक ग्रंथ 151 किलोग्राम तांबे और 3 से 4 किलोग्राम सोने से बनी है. जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर 14 गेज के 12 इंच की 3 किलोग्राम तांबे के प्लेट का भी उपयोग किया गया है. करीब 480 से 500 पेज कि सोने और तांबे की धातु की बनी रामायण का वजन 1.5 क्विंटल के करीब बताया जा रहा है.
रामलला का सूर्य की किरणों से होगा सूर्याभिषेक
इस बार अयोध्या के राम मंदिर में बहुत ही भव्य तरीके से रामनवमी का आयोजन किया जा रहा है. रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में प्रभु रामलला के प्रतीकात्मक जन्म के बाद उनके ललाट पर सूर्य की किरणों से सूर्याभिषेक किया जाएगा. धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था और सूर्यदेव उनके कुलदेवता भी हैं. आज भी पृथ्वी लोक पर सूर्य एकमात्र ऊर्जा का स्रोत है और वे सभी ग्रहों के राजा भी हैं.
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