Ramadan Mubarak 2025: रमजान का महीना इस्लामिक (हिजरी) कैलेंडर का 9वां महीना होता है, जो शाबान के महीने के बाद आता है। इस साल, यानी 2024 में, रमजान की शुरुआत 1 मार्च को चांद दिखने के बाद से हो चुकी है। भारत में 2 मार्च को रमजान का पहला रोजा रखा गया है। रमजान को रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना माना जाता है, जिसमें मुसलमान अल्लाह की इबादत और रोजा रखने में अपना समय बिताते हैं।
रोजा रखने का तरीका: सहरी और इफ्तार

रमजान के दौरान मुसलमान अपने रोजे की शुरुआत फज्र की नमाज से पहले सहरी खाकर करते हैं, और फिर सूरज ढलने तक कुछ नहीं खाते-पीते हैं। शाम को मगिरब की नमाज के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहा जाता है। इसके अलावा, रमजान के महीने में ईशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज भी अदा की जाती है।
रमजान की अहमियत: कुरान का नाजिल होना

रमजान का महीना इस्लाम धर्म के लिए विशेष रूप से पाक माना जाता है, क्योंकि इस महीने में पैगंबर साहब को अल्लाह से कुरआन की आयतें प्राप्त हुई थीं, यानी कुरआन नाजिल हुआ था। रमजान सिर्फ रोजा रखने का समय नहीं होता, बल्कि यह समय है जब लोग अपनी नफ्स पर काबू पाकर इबादत और नेकी के कामों को बढ़ाते हैं।
रमजान में क्या करें और क्या न करें: अहम बातें

पूरे दिन सोने से बचें: अक्सर लोग रमजान के दौरान पूरा दिन सोते रहते हैं और सिर्फ इफ्तार के वक्त उठते हैं। लेकिन इस तरह से पूरे दिन सोने से रोजे का सवाब नहीं मिलता। इसलिए रोजे के दौरान अपने समय का सही उपयोग करें और सोने से बचें।
बुरे शब्दों का प्रयोग न करें: रमजान में रोजा रखने का मुख्य उद्देश्य अपनी नफ्स पर काबू पाना है। इसलिए, बुरे शब्दों का इस्तेमाल न करें और किसी से बुरा व्यवहार न करें। इस महीने में अपनी जुबान को संयमित रखना चाहिए।
फिल्म/ड्रामा देखने से बचें: रमजान में रोजा रखते हुए समय का अधिकतर हिस्सा अल्लाह की इबादत में लगाना चाहिए। फिल्में और ड्रामा देखने से बचें और अपने समय का सही उपयोग करें।
नमाज न छोड़ें: रोजा रखते हुए नमाज को कभी भी न छोड़ें। यदि कोई जानबूझकर नमाज छोड़ता है, तो उसके रोजे का कोई सवाब नहीं मिलता है। इसलिए, रोजे के दौरान 5 वक्त की नमाज जरूर अदा करें।

गुस्से से बचें: रोजे के दौरान गुस्से से बचना बहुत जरूरी है। अगर आप अपने माता-पिता या किसी के साथ गुस्सा करते हैं, तो ऐसा रोजा स्वीकार नहीं होता। रोजा रखने का मतलब है न केवल भूखा रहना, बल्कि अपनी भावनाओं पर भी काबू पाना।
गाना सुनने से बचें: रोजा रखने का मतलब सिर्फ खाना-पीना छोड़ना नहीं है, बल्कि यह अपनी नफ्स पर काबू रखने का समय भी है। इस दौरान गाना सुनने से बचें और अपनी इबादत में मन लगाएं।
रमजान का महीना न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें अपने आचार-व्यवहार को सुधारने और अपनी नफ्स पर काबू पाने का भी अवसर देता है। रोजे के दौरान अपनी इबादत, दुआ और नफ्स पर काबू रखना बहुत जरूरी है।
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