नालंदा संवाददाता- वीरेंद्र कुमार
नालंदा: भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षा बंधन गुरूवार को जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाईयों की कलाई पर राखी बांधी। वहीं भाईयों ने भी बहनों की रक्षा का संकल्प लेकर उन्हें उपहार भी प्रदान किए। रक्षा बंधन पर्व पर भद्रा नक्षत्र का असर रहा। हालांकि, गुरूवार को सुबह सुबह ही बहनों ने अपने भाईयों को रक्षा सूत्री बांधी। गुरूवार को पूजा की थाल लेकर बहन अपने भाईयों के घर पहुंची। अपने भाई की कलाई में रेशम की डोर बांधी।
Read more: रक्षाबंधन के दिन पुलिस ने छात्रा की बचाई जान..
जीवन पर्यंत बहन की सुरक्षा का लिया संकल्प

वहीं भाई ने भी अपनी बहन को उपहार दिया। जीवन पर्यंत बहन की सुरक्षा करने का संकल्प भी लिया। पर्व को लेकर बुधवार को भी शाम तक बाजारों में खरीददारी होते रही। मिठाई से लेकर किराना और कपड़ा बाजार में ग्राहकों की भीड़ रही। इस वर्ष भद्रा होने के चलते सुबह से ही शुभ मुहुर्त में राखी बांधने की रस्म पूरी की गई। बसों में रही जमकर भीड़ रक्षा बंधन पर्व पर बुधवार को यात्री बसों में जमकर भीड़ रही।
काला बिल्ला लगाकर शिक्षकों ने जताया विरोध, प्राथमिक विद्यालय मादाचक गेट में लटकता रहा ताला
नालंदा: जिला अंतर्गत रहुई प्रखंड में शिक्षकों के छुट्टी में कटौती के विरोध में गुरुवार को जिले व प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों में शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर सरकार के प्रति विरोध प्रकट किया। शिक्षा विभाग के अपर सचिव के के पाठक द्वारा रक्षाबंधन के मौके पर सभी स्कूल खुला रखने का आदेश जारी किया गया। बता दें कि के के पाठक द्वारा जारी तालिबानी फरमान के बाद जिले में कहीं कहीं इसका असर देखा गया तो कहीं इस आदेश की अवहेलना की गई। जिले के कई सरकारी विद्यालय में ताला लटका रहा तो कहीं बच्चों की उपस्थिति कम रही।
शिक्षकों ने कहा

ऐसा ही एक मामला रहूई प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय मादाचक देखने को मिला जहां विद्यालय में मात्र एक शिक्षिका कल्पना कुसुम मौजूद थी बाकि सभी शिक्षक अपने-अपने घरों में रक्षाबंधन का त्यौहार मना रहे थे। पूछे जाने पर शिक्षकों ने कहा कि कहीं न कहीं राज्य सरकार के द्वारा हिंदू धर्म के साथ खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा जिसका हम काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रकट कर रहे है। सरकार के द्वारा जारी तुगलकी फरमान का हम सभी शिक्षक कड़ा विरोध करते है और आने वाले समय में सरकार को इसका खामियाजा निश्चित तौर पर भुगतना पड़ेगा।