भारतीय अंतरिक्ष के लिए राकेश शर्मा का योगदान कोई कैसे भूल सकता है, आज से करीब 40 साल पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्रा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। राकेश का सपना था कि… भारत को भी एक दिन अपना अंतरिक्ष मिशन हो, जिसमें भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जा सके। और यही सपना अब इसरो द्वारा गगनयान मिशन के रूप में साकार होने वाला है। आज, उन्ही राकेश शर्मा का जन्मदिन है, उनका योगदान भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के विकास के लिए अविस्मरणीय रहेगा।
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सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तान हमारा
राकेश शर्मा का जीवन प्रेरणादायक है, क्योंकि वे भारतीय वायुसेना के एक प्रतिष्ठित पायलट से लेकर अंतरिक्ष यात्री बने। 1984 में जब वह सोवियत संघ के अंतरिक्ष मिशन सोयूज़ टी-11 में अंतरिक्ष गए थे, तो वे भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने। उनकी यात्रा के दौरान जब उनसे पूछा गया था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो उन्होंने जो जवाब दिया वह इतिहास में दर्ज हो गया – “सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्तान हमारा”।राकेश शर्मा की शुरुआत ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नया रास्ता खोला। अब गगनयान मिशन के तहत भारत भी अपनी तकनीक से भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है। यह मिशन राकेश शर्मा के सपने का एक कदम और आगे बढ़ने जैसा है।
सोवियत संघ के मिशन में दी भागीदारी
राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में गए। वे सोयूज़ टी-11 मिशन का हिस्सा थे, जो सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन सालेउत 7 तक था। राकेश शर्मा और दो अन्य अंतरिक्ष यात्री, जो सोवियत संघ से थे, इस मिशन का हिस्सा थे। इस यात्रा के द्वारा राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय नागरिक बने।
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इसरो का योगदान देने का सपना
राकेश शर्मा का सपना हमेशा यही था कि भारत एक दिन खुद अपनी अंतरिक्ष यात्रा क्षमता विकसित करेगा और भारतीयों को अपनी भूमि से अंतरिक्ष में भेजेगा। इस सपने को साकार करने के लिए इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने पिछले कुछ दशकों में लगातार काम किया। गगनयान मिशन इसी दिशा में इसरो का महत्वपूर्ण कदम है, जिसके तहत भारत पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अपने मिशन के जरिए अंतरिक्ष में भेजेगा। राकेश शर्मा का सपना अब इसरो के प्रयासों से पूरा होता नजर आ रहा है।

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भारतीय अंतरिक्ष का विकास
राकेश शर्मा के अंतरिक्ष में जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने कई सफल मिशनों को अंजाम दिया, जैसे कि चंद्रयान-1, मंगलयान, और हाल ही में चंद्रयान-3। इन सफलताओं ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है। गगनयान मिशन इस विकास यात्रा का अगला और अहम कदम है, जो भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल होगा।