धान के लिए बारिश बनी वरदान , किसान हुए खुशहाल

धान के लिए बारिश बनी वरदान

Sharad Chaurasia
By Sharad Chaurasia
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weather uttar pradesh जुलाई के शुरुआती महीनों मे उमस व गर्मी के बाद प्रदेश में हो रही झमाझम बारिश से किसान बहुत खुश है। धान की रोपाई के लिए यह बारिश किसानो के किसी वरदान के लिए कम नही है। वहीं उधर बादलों के छाए रहने और रुक- रुककर हो रही बारिश से तापमान मे भी गिरावट दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश मे शुक्रवार को 32 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड दर्ज किया गया। प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश देखने को मिली है।

धान रोपाई की तैयारी में जुटा किसानः

किसानों को इस साल भी जुलाई महीने की शुरुआती दौर में मानसून के दगा देने के किसान परेशान हो रहे थे। पिछले दो-तीन सालों के जुलाई के शुरुआती दौर में मानसून सक्रिय नही हो पाता था। और जुलाई में बारिश बहुत कम हो पाती थी। लेकिन इस साल मानसून किसानों पर मेहरबान है। यूपी में इस बार 22 जून से मानसून ने दस्तक दे दी थी। तब से जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक अच्छी बारिश हो रही है।
धान की रोपाई के लिए किसान अपने- अपने खेतों की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बार समय से बारिश होने से किसान धान रोपाई तेजी से करवा रहा है।

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कुछ किसान अपने खेतों में नहरों का पानी व डीजल से टेय्बुल चलाकर अपने खेतो मे पानी भरकर धान की रोपाई का काम चालू है। बहुत से किसान ने अपने खेतों मे धान की रोपाई करवा चुके है। ऐसे मे उनकी सूख रही धान की फसल के लिए यह बारिश किसी वरदान की तरह साबित हो रही है। पानी न मिलने से धान के पौधों मे कीट- पतंगा और रोग भी लगना शुरु हो जाता है। इसके अलावा बहुत से किसान धान की रोपाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे थे।

डीजल दाम छू रहें आसमानः

आसमान छू रहें डीजल के दाम से किसान परेशान है। डीजल मंहगाई के जलते बहुत से किसान धान की रोपाई नही कर पा रहे थे। लेकिन पिछले एक हफ्ते से हो रही अच्छी बरसात से किसानो को राहत मिली है। डीजल के अलावा किसानों अपने खेतो को तैयार करने के लिए जुताई और उर्वरक की जरुरत पड़ती है।

कर्ज तले डूबे किसानः

वैसे बहुत से किसान देश के कर्ज तले डूबें रहते है। फसल पैदा करने के बाद किसानों को मंडी मे अपनी फसलों का अच्छा दाम नही मिल पाते है। कुछ तो किसान कर्ज पर पैसा लेकर कृषि करते है। लेकिन कभी कभी अच्छी बरसात न होने से सूखा पड़ने से किसानों की फसलें सूख जाती है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम नही मिल पाते है। जिससे किसान आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते है।

उर्वरक खाद की कालाबाजारीः

किसान धान की रोपाई को लेकर अपनी फसल की अच्छी उपज के लिए फसलों में उर्वरक का छिड़काव ऊचित मात्रा के हिसाब से करते है। धान की फसलों में किसान डीएपी व यूरिया खाद का छिड़काव करते है। इसी के चलते अधिकांश सरकारी खाद गोदामों के कर्मचारी लोग यूरिया की काला बाजारी कर लेते है। व्यापरियों द्वारा यूरिया खाद को डंप कर लिया जाता है। उसके बाद व्यापारी मनचाहा रेट से यूरिया खाद को बेंचते है। जब किसानों के सरकारी गोदामो से खाद नही मिल पाती है तो वह बाहर से सरकारी रेट से ज्यादा खरीदने पर मजबूर हो जाते है।

एक बीघा मे धान की रोपाई की लागतः

किसानों को एक बीघा फसल तैयार करने में बहुत सी लागत लगानी पड़ती है। खेत को तैयार करने के लगभग 6 से 7 हजार रुपये का खर्च आ जाता है। तब जाकर कहीं धान की रोपाई के लिए तैयार हो पाता है एक बीघा खेत।
खेत की जुताई- 1500
सिंचाई के लिए डीजल – 30 लीटर
डीएपी – 1 बोरी
यूरिया- 3 बोरी (फसल तैयार होने तक)
कीटनाशक दवाओ का छिड़काव- 150
पोटाश- 500 जिंक- 800

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