Rahul Gandhi को मिली बड़ी जिम्मेदारी,अगले 60 महीने बड़ा अवसर,कैसे संभालेंगे चुनौतियों भरी राह?

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
Rahul Gandhi

संदीप मिश्रा

Rahul Gandhi: 20 साल के पॉलिटिकल करियर में पहली बार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बड़ी जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला हैं. राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है.नेता प्रतिपक्ष बनते ही राहुल गांधी के बदले-बदले अंदाज नजर आने लगे हैं.वह काफी कॉन्फिडेंट नजर आ रहे हैं. उनके हाव-भाव किसी बड़ी कहानी की ओर इशारा कर रहे हैं.पहली बार किसी संवैधानिक पद पर बैठे राहुल को आने वाले दिनों में किन चुनौतियां का सामना करना होगा? आइए जानते है..

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किन-किन दौर को राहुल गांधी ने देखा ?

किन-किन दौर को राहुल गांधी ने देखा ?

जब आंख खुली तो ऐसे परिवार में जिसके हाथ में हिंदुस्तान कि तकदीर थी. दादी तो ऐसी जिनकी दहाड़ के आगे बड़े-बड़े सूरमा भी चूर-चूर हो जाये और नाम तो ऐसा जिसमें मासूमियत भी घुटनों के बल चलती नजर आये.बचपन बीता तो दादी इंदिरा गांधी की गोद में खिलखिलाते हुए. हाथ पकड़ कर प्रधानमंत्री आवास के चक्कर लगाते हुए.राहुल गांधी जिन्होने बचपन में दादी इंदिरा के उरूज को देखा.वही 1975 के दौरान उस काले आपातकाल को देखा.1971 में इंदिरा को अर्श से फर्श पर देखा.तो 1977 में हार का दर्द भी देखा.

सबसे बुरे दौर से गुजरी कांग्रेस

साल 1980 में चाचा संजय की मौत देखी और 31 अक्टूबर सन 1984 का वो दिन जब वो लड़का ज्यौगर्फी की क्लास में दुनिया का भूगोल समझ रहा था.तभी उसे पता चला की उसके घर में एक भूचाल आ गया है. इंदिरा गांधी की मौत ने जवान होते राहुल को हिला कर रख दिया.वही 1990 में तो पिता राजीव की मौत ने उन्हे तोड़ कर रख दिया.1991 में हासिए में पड़ी कांग्रेस को राव ने सम्भाला.

सबसे बुरे दौर से गुजरी कांग्रेस

साल 1996 के बाद जब पार्टी सबसे बुरे दौर से गुजरने लगी तभी मां सोनिया ने पार्टी की कमान भी संभाली..और देखते ही देखते राहुल के पॉलिटिकल करियर की शुरआत 2004 में हुई.2004 के लोकसभा चुनावों में अमेठी से राहुल का चुनाव जीतना एक नए युग की शुरआत थी.

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कांग्रेस के नए युग की शुरुआत

बताते चले कि वो साल था 2004 जब विदेश पढ़ रहे राहुल (Rahul Gandhi) को मां सोनिया ने अमेठी के दुर्जय किले से सांसद बना कर विजय का स्वाद चखाया और यही से कांग्रेस के नये युग की शुरआत हो चुकी थी. राहुल ने 2014 के आम चुनावों में जोर-शोर से पार्टी का प्रचार किया लेकिन अपने बचकाने बयानों से खबरों में बने रहे. उन्हें सफलता तो नही मिली लेकिन एक सबक जरूर सीख लिया.

कांग्रेस के नए युग की शुरुआत

एक के बाद एक हारों ने खुद पार्टी को भी उनके भविष्य पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया. चाहे दिल्ली से कांग्रेस का सफाया हो या फिर 2017 के आम चुनावों में दक्षीण से उत्तर तक और पश्चिम से पूरब तक पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन. कांग्रेस हर जगह हासिए पर पड़ी रही.लेकिन वो कहते है ना भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं…हिंदू कार्ड..गठबंधन की बहार और भारत जोडो यात्रा में बेशुमार मेहनत से राहुल ने अपना हाई स्कोर बना डाला.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी नए तेवर में दिख रहे

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी नए तेवर में दिख रहे

18वीं लोकसभा की शुरुआत से ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नए तेवर में दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन का क्रेडिट राहुल गांधी को ही दिया जा रहा है. इस लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राहुल को नेता प्रतिपक्ष बनाया है. राज्यों की जीत ने कांग्रेस से ज़्यादा राहुल गांधी में उत्साह भर दिया है.”राहुल गांधी में राजनीति के शुरूआती अमृत मंथन के बाद एक ठहराव आया है.

जैसे अमृत मंथन के बाद अमृत और विष का अंतर साफ हुआ था, राहुल (Rahul Gandhi) ने भी अच्छी बातों को अपने में समाहित किया है और बुरी बातों से तौबा कर लिया है. ये जीत उनके लिए संजीवनी का काम करेगी.”विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा. इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा. नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को अब बड़ा बंगला मिलेगा. इसके अलावा राहुल गांधी की कई जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी.

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राहुल गांधी के पास होंगी शक्तियां

राहुल गांधी के पास होंगी शक्तियां

अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नेता प्रतिपक्ष बन रहे हैं तो वह उस कमिटी का हिस्सा बन जाएंगे, जो सीबीआई के डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, मुख्य सूचना आयुक्त, ‘लोकपाल’ या लोकायुक्त, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन और सदस्य और भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती करती है.

आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे

इन सारी नियुक्तियों में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री मोदी बैठेंगे और पहली बार ऐसा होगा, जब इन फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी. राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष होने के बाद वह सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर अपनी टिप्पणी भी कर सकेंगे. राहुल गांधी उस ‘लोक लेखा’ समिति के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है.

राहुल गांधी की शक्तियां और अधिकार

राहुल गांधी की शक्तियां और अधिकार

नेता प्रतिपक्ष होने के Act 1977 के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और सुविधाएं ठीक वैसे ही होते हैं जो एक कैबिनेट मंत्री के होते हैं.अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी सचिवालय में एक दफ्तर मिलेगा. कैबिनेट मंत्री की रैंक के अनुसार उच्च स्तर की सुरक्षा मिलेगी और उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हजार रुपये मिलेंगे जो एक सांसद के वेतन से कहीं ज्यादा होंगे.एक सांसद को वेतन और दूसरे भत्ते मिलाकर हर महीने लगभग सवा दो लाख रुपये मिलते हैं. राहुल गांधी को सुविधाओं के साथ विपक्ष ने बड़ी जिम्मेंदार भी सौपी है.अब देखना होगा रहुल गांधी 10 साल बाद मिली बड़ी जिम्मेदारी को कैसे सभांलते है?

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