NHRC:केंद्र सरकार ने पूर्व जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है जिस पर संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी असहमति जताई है।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अगले अध्यक्ष चुने जाने वाली समिति में शामिल कांग्रेस नेताओं ने आयोग के अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया को मौलिक रुप से त्रुटिपूर्ण बताया और सरकार पर आरोप लगाया कि,NHRC द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया थी जिसमें आपसी परामर्श और आम सहमति को नजरअंदाज किया गया।
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NHRC अध्यक्ष पद के चयन पर कांग्रेस की असहमति

आपको बता दें कि,राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने NHRC के अध्यक्ष पद के लिए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति कुट्टियिल मैथ्यू जोसेफ के नाम का प्रस्ताव रखा था लेकिन सोमवार को सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायधीश वी.रामसुब्रमण्यम को NHRC का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया इस पर कांग्रेस ने अपनी सहमति जताई है।एनएचआरसी के नए अध्यक्ष पद के लिए नाम पर अंतिम मुहर के लिए चयन पैनल की एक बैठक 18 दिसंबर को हुई थी जिसमें वी.रामसुब्रमण्यम के नाम पर मुहर लगी।
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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले पैनल ने किया अध्यक्ष का चुनाव

एनएचआरसी अध्यक्ष पद का चुनाव प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा किया जाता है इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्री,लोकसभा अध्यक्ष,लोकसभा और राज्यसभा के विपक्ष के नेता और राज्यसभा के उपसभापति शामिल होते हैं।एनएचआरसी अध्यक्ष पद 1 जून 2024 से खाली था इससे पहले सुप्रीमकोर्ट के पूर्व जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने यह पद छोड़ दिया था तभी से एनएचआरसी अध्यक्ष का पद खाली चल रहा था।
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राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जताई नाराजगी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राज्यसभा और लोकसभा दोनों के विपक्ष के नेताओं ने कहा कि,एनएचआरसी अध्यक्ष पद का चुनाव करते समय धर्म,जाति और क्षेत्र के संतुलन को ध्यान में नहीं रखा गया।कांग्रेस नेताओं ने कहा,यह पूर्व निर्धारित प्रक्रिया थी जिसमें आपसी परामर्श और आम सहमति की परंपरा को नजरअंदाज किया गया एनएचआरसी एक वैधानिक निकाय है

जिसको देश के सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व सौंपा गया है जिसको समाज के सभी वर्गों के के अनुभवों के प्रति संवेदनशील रहना होता है उस निकाय के अध्यक्ष पद के चुनाव में महत्वूपर्ण सिद्धांत की उपेक्षा करके समिति इस निकाय पर जनता के विश्वास को कम करने का जोखिम उठा रही है जिसके परिणाम अच्छे नहीं हो सकते हैं।