PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर माफी मांगी

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Chhatrapati Shivaji Maharaj's statue in Sindhudurg

PM Modi: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची मूर्ति के गिरने की घटना ने राजनीतिक जगत में तूफान मचा दिया है। इस मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग नौ महीने पहले किया था। इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है और माफी मांगी है।

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पीएम मोदी ने मांगी माफी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए केवल एक नाम नहीं हैं, वे हमारे आराध्य हैं। मैं उनके चरणों में सिर झुकाकर माफी मांगता हूं।” उन्होंने इस घटना को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी स्वीकार की और कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित होकर हम एक विकसित महाराष्ट्र और विकसित भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस घटना के बाद कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा था कि क्या वे इस घटना के लिए माफी मांगेंगे, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने राज्य सरकार पर निशाना साधा था।

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मूर्ति के गिरने की संभावित वजहें

26 अगस्त को मूर्ति के गिरने के बाद यह आरोप लगाए गए कि 45 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बहने वाली हवाओं के कारण यह घटना घटी। भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, किसी भी संरचना को डिजाइन करते समय इससे तीन गुना अधिक हवा की गति को ध्यान में रखा जाता है। संरचना विशेषज्ञ अमरेश कुमार ने कहा कि मूर्ति के ‘टखने’, जहां पूरे ढांचे का वजन रहता है, की स्थिरता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता थी।

उन्होंने सुझाव दिया कि मूर्ति के फ्रेम के स्टील मेंबर्स और नट-बोल्ट को नियमित रूप से जांचना और पेंटिंग करके संरक्षित करना चाहिए, विशेषकर तटीय क्षेत्रों में जहां नमक और नमी के कारण जंग लगने की समस्या होती है। इस घटना को पिछले साल जून में ओडिशा के बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम और राउरकेला हवाई अड्डे के पास की 40 फुट ऊंची मूर्ति के गिरने के मामले से मिलती-जुलती बताई जा रही है। दोनों ही मूर्तियां ‘टखने’ से गिरी थीं।

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संरचना इंजीनियर चेतन पाटिल के खिलाफ मामला

छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के गिरने के मामले में संरचना इंजीनियर चेतन पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पाटिल ने दावा किया कि वह मूर्ति के निर्माण के लिए ‘स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट’ नहीं थे और उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। पाटिल के अनुसार, मूर्ति निर्माण का काम ठाणे स्थित एक फर्म को सौंपा गया था और उन्हें केवल उस मंच पर काम करने के लिए कहा गया था जिस पर मूर्ति स्थापित की जा रही थी। इस घटना ने राज्य और केंद्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

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