Draupadi Murmu News : देश भर में आज 75वां गणतंत्र दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया.देश की राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पहुंची जहां उन्होंने आज दूसरी बार विजय पथ पर भारतीय ध्वज को फहराया.लेकिन इन सबके बीच सबकी नजर उस खास बग्घी पर रही जिस पर सवार होकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ विजय पथ पर पहुंची.क्या है इस बग्घी की कहानी और इतिहास से क्या संबंध है इसका आपको इसके बारे मे हम आगे बताएंगे।

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आजादी के समय भारत ने जीती ऐतिहासिक बग्घी

दरअसल,साल 1947 में जब भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ तो उस वक्त दो मुल्कों भारत और पाकिस्तान के बीच हर चीज को लेकर बंटवारा हो रहा था.सेना से लेकर जमीन तक का बंटवारा तो भारत-पाकिस्तान के बीच आसानी से हो गया लेकिन जब बात इस पारंपरिक बग्घी की आई तो दोनों मुल्कों के बीच बहस छिड़ गई जिसके बाद बग्घी के लिए सिक्का उछाला यानी कि,टॉस किया गया.ये टॉस राष्ट्रपति बॉडीगार्ड रेजिमेंट के कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविन्द सिंह और पाकिस्तान के याकूब खान के बीच हुआ.इस टॉस को भारत ने जीत लिया तब से लेकर आज तक ये ऐतिहासिक बग्घी राष्ट्रपति भवन की शान बनी हुई है।
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ब्रिटिश काल में वायसराय करते थे बग्घी की सवारी

आपको बता दें कि,राष्ट्रपति भवन की ऐतिहासिक बग्घी लंबे समय से भारत की शान है.ब्रिटिश काल में इस बग्घी का उपयोग वायसरॉय किया करते थे जो भारत में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व करते थे.बग्घी को 6 घोड़ों की मदद से खींचा जाता है.ये घोड़े भारत और ऑस्ट्रेलिया के मिश्रित नस्ल के घोड़े होते हैं।पहली बार इस बग्घी का उपयोग भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद को 1950 में गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति भवन से लाने में किया गया था।
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द्रौपदी मुर्मू शाही बग्घी पर सवार होकर पहुंची कर्तव्य पथ

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रपति की सुरक्षा का हवाला देकर बग्घी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था.इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बग्घी की जगह बुलेट प्रूफ गाड़ियों को इस्तेमाल किया जाने लगा था.करीब 30 सालों तक इस ऐतिहासिक बग्घी को इस्तेमाल नहीं किया गया लेकिन समय-समय पर इसकी देखभाल होती रही.साल 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति भवन परिसर में घूमने के लिए बग्घी की सवारी करते थे।हालांकि साल 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीटिंग रिट्रीट समारोह में हिस्सा लेने के लिए इस ऐतिहासिक बग्घी का पुन: इस्तेमाल करना शुरु किया.इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस शाही बग्घी की सवारी की और आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शाही बग्घी पर फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ सवार होकर गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर पहुंची।