Pradosh Vrat 2025:प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और मंगलकारी व्रत है, जो हर महीने विशेष तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत खासतौर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। सनातन धर्म में इस व्रत का विशेष स्थान है

क्योंकि इसे रखने से भक्तों को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। इस वर्ष फाल्गुन माह प्रदोष व्रत 2025 11 मार्च को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से शिवजी की पूजा के लिए निर्धारित है, और इस दिन की विधिपूर्वक पूजा से भक्तों को अनंत आशीर्वाद मिलते हैं।
प्रदोष व्रत के दौरान क्या करें पूजा?

प्रदोष व्रत के दौरान विधिवत पूजा करने से विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से प्रदोष काल (संध्या समय) में पूजा का आयोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा भी की जाती है, जिससे भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है और जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
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यहां इस दिन की पूजा विधि दी जा रही है

- प्रदोष काल में पूजा: प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल में की जाती है, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं: पूजा की शुरुआत शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल चढ़ाकर करें। इस कार्य से भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है।
- बेल पत्र और ऋतु फल: इसके बाद, शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाएं और ऋतु फल का भोग अर्पित करें। बेल पत्र भगवान शिव के प्रिय होते हैं, और उनका अर्पण विशेष फलदायी होता है।
- मंत्र जाप और शिव चालीसा: अब शिव जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” और “महादेव”। साथ ही, शिव चालीसा का पाठ भी करें। शिव चालीसा के पाठ से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- आरती से पूजा का समापन: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और अपने परिवार के साथ पूजा का समापन करें। इस दौरान ध्यान रखें कि पूजा के सभी चरण विधिपूर्वक और श्रद्धा भाव से किए जाएं।
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प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
प्रदोष व्रत के बारे में यह मान्यता है कि यह व्रत रखने से सभी प्रकार के संकट समाप्त हो जाते हैं और भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन की पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।

इसके साथ ही, मां पार्वती की पूजा से मानसिक शांति और परिवारिक समृद्धि भी मिलती है।प्रदोष व्रत के दौरान शिव जी की पूजा से न केवल कष्टों का निवारण होता है, बल्कि यह व्रत भक्तों को आत्मिक शांति और जीवन में सफलता भी प्रदान करता है। इस दिन प्रदोष काल के समय पूजा करने से विशेष रूप से शुभ फल की प्राप्ति होती है, और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।