Pradosh Vrat 2025:प्रदोष व्रत सनातन धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है, जिसे भगवान शिव और देवी पार्वती के भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, और इस व्रत के दौरान विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत को रखने से व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें शिव-शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके घर में बरकत बनी रहती है।

इस साल प्रदोष व्रत 27 मार्च 2025 को है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन जो लोग विधिपूर्वक व्रत रखते हैं और श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
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प्रदोष व्रत कथा का महत्व

प्रदोष व्रत के दिन विशेष रूप से प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस कथा को सुनने या पढ़ने से व्रति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और व्रत का पुण्य फल मिलता है। यह कथा भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह और उनके भक्तों की भक्ति से जुड़ी होती है, जो व्रति के मन को शांति और संतोष प्रदान करती है।
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प्रदोष व्रत के दौरान की जाने वाली पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन व्रति को पूरे दिन उपवासी रहना चाहिए और रात्रि को विशेष रूप से शिव पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान भगवान शिव की पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप किया जाता है। साथ ही, भगवान शिव की 16 श्रृंगार सामग्री के साथ पूजा की जाती है, जिनमें बेल पत्र, दूध, शहद, घी, जल, फल, फूल, और धूप शामिल होते हैं। पूजा के बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ या श्रवण किया जाता है, जो व्रत के पुण्य को और अधिक बढ़ा देता है।
प्रदोष व्रत का प्रभाव और लाभ

प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है, और भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस दिन व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके साथ ही, यह व्रत परिवार में प्रेम और सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है।
गुरु प्रदोष व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat Katha)

प्रदोष व्रत की कथा में भगवान शिव की महानता और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक समय की बात है कि एक ब्राह्मण परिवार में शिव भक्त था। एक दिन उसने विधिपूर्वक प्रदोष व्रत किया और रात्रि को शिवलिंग पर जल चढ़ाया। उसकी भक्ति से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उस ब्राह्मण को आशीर्वाद दिया, जिससे उसकी दरिद्रता समाप्त हो गई और वह अपने जीवन में समृद्धि को प्राप्त कर सका।