ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का बहुत महत्व है। जब हम ज्योतिष की बात करते हैं, तो हमें अक्सर 9 ग्रहों का उल्लेख सुनाई देता है। इन 9 ग्रहों का संबंध हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से होता है, जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, धन, करियर, रिश्ते, और अन्य बहुत सी चीज़ों से। लेकिन सवाल यह उठता है कि ज्योतिष में सिर्फ 9 ग्रह ही क्यों होते हैं, और इन ग्रहों का क्या रहस्य है? आइए जानते हैं।
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ज्योतिषीय ग्रहों की संख्या और उनका महत्व

ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रह माने जाते हैं, जो हैं: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहु, और केतु। इनमें से 7 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि सामान्यतः भौतिक ग्रह होते हैं, जो आकाश में दृष्टिगोचर होते हैं। जबकि राहु और केतु छाया ग्रह माने जाते हैं, ये वास्तव में कोई भौतिक ग्रह नहीं हैं, बल्कि ये दो काले बिंदु हैं जो चंद्रमा के कक्ष के दो बिंदुओं से संबंधित होते हैं। इन छाया ग्रहों का प्रभाव भी ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इन 9 ग्रहों के अलावा, ज्योतिष में अन्य किसी ग्रह या बिंदु का उल्लेख नहीं किया जाता। इसका कारण यह है कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र को पौराणिक दृष्टिकोण और वेदों से जोड़कर देखा जाता है, और वेदों में इन 9 ग्रहों का ही विशेष उल्लेख मिलता है। इसके पीछे कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक कारण भी हो सकते हैं, जो इस संख्या को विशेष बनाते हैं।
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9 ग्रहों का रहस्य
अब हम बात करते हैं इन 9 ग्रहों के रहस्य की। जब हम इन ग्रहों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो यह हमें एक गहरी दृष्टि और समझ प्रदान करता है। इस संख्या के पीछे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और रहस्य छुपे हुए हैं….
सूर्य: सूर्य को आत्मा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह जीवन और ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य के प्रभाव से ही सभी ग्रहों का चालन होता है और यह जीवन को दिशा प्रदान करता है।
चंद्रमा: चंद्रमा मन, भावना, और मानसिक स्थिति का प्रतीक है। यह हमारी मानसिक स्थिति, मूड और आंतरिक भावनाओं को प्रभावित करता है।

मंगल: मंगल ग्रह को ऊर्जा, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह युद्ध, संघर्ष और कर्मों से जुड़ा हुआ है। मंगल का प्रभाव व्यक्ति के साहस और संघर्ष क्षमता को दर्शाता है।
बुध: बुध ग्रह बुद्धि, संचार, और व्यापार का प्रतीक है। यह व्यक्ति की वाक्पटुता, सोचने की क्षमता और तर्कशक्ति से जुड़ा हुआ है।
गुरु (बृहस्पति): बृहस्पति को गुरु और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। यह ज्ञान, शिक्षा, और धार्मिकता का ग्रह है। यह व्यक्ति के जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि लाने में मदद करता है।
शुक्र: शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, और भौतिक सुखों का प्रतीक है। यह ग्रह व्यक्ति के रिश्तों, प्रेम और भौतिक सुख-सुविधाओं को प्रभावित करता है।
शनि: शनि को कर्मफल का देवता माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, समय की परीक्षा और आत्म-संयम का प्रतीक है। शनि की स्थिति व्यक्ति को कठिनाइयों के माध्यम से जीवन के सच्चे अर्थों का अहसास कराती है।

राहु और केतु: राहु और केतु छाया ग्रह हैं, जो शनि के समान प्रभाव डालते हैं। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में अचानक बदलाव, उलझन और मानसिक संघर्ष उत्पन्न करते हैं। ये ग्रह मुख्य रूप से व्यक्ति की सोच, निर्णय लेने की क्षमता और जीवन में मुसीबतों का कारण बनते हैं।
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9 ग्रहों की संख्या का सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति में संख्याओं का विशेष महत्व है। प्रत्येक संख्या का एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ होता है। 9 ग्रहों की संख्या का भी एक विशिष्ट सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है। 9 का अंक पूर्णता, समग्रता और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यह संख्या जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है, जैसे कि शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्तर पर संतुलन। इसके अलावा, 9 का संबंध देवताओं की संख्या से भी जोड़ा जाता है, जैसे 9 रूपों में देवी दुर्गा की पूजा।