बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पीके ने खोली पोल , सीएम नीतीश और तेजस्वी के दावें फेल

Sharad Chaurasia
By Sharad Chaurasia
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बिहारः संवाददाता – रुपेश कुमार

बिहार। बिहार सरकार की स्थिति को आप देख रहे हैं। आप केरल चले जाइए, तमिलनाडु चले जाइए, पंजाब चले जाइए या फिर जम्मू-कश्मीर चले जाइए, वहां शत प्रतिशत साक्षरता है। कहना है जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर कहा, उन्होंने कहा कि हम यहां के बच्चे (बिहारी) कोटा में जाकर पढ़ रहे हैं, हम लोगों के बच्चे बेंगलुरु में जाकर इंजीनियरिंग कर रहे हैं। दूसरे राज्य के कॉलेज में जो पढ़ रहे हैं, वो भी बिहार के हैं और जो पढ़ा रहे हैं, वो भी बिहार के हैं, लेकिन वहां कॉलेज खुल रहे हैं कर्नाटक तो आपके-हमारे और देश के सामने मॉडल है।

सभी राज्यों की दशा बिहार से है बेहतर:

प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था का अन्य राज्यों से तुलना करते हुए बेहतर बताया है। उन्होंने कहा कि केरल ने जो अपनी शिक्षा व्यवस्था बनाई है, आंध्र प्रदेश ने जो बनाई है, कर्नाटक ने बनाया है, महाराष्ट्र ने बनाया है। लेकिन बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बिहार की शिक्षा को लेकर बडे़- बड़े दावे कर रहे है। लेकिन यहां की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। बिहार के लोग इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा जाते है। प्रदेश में अच्छी कोचिंग न होने के चलते हजारों की संख्या मे स्टूडेंट तैयारी करने के लिए अलग- अलग शहरों में जाते है। इसमे बहुत से गरीब परिवार के बच्चे मंहगी कोचिंग की मंहगी फीस और रेंट का किराया के चलते तैयारी नही कर पाते है।

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शिक्षा को लेकर 28वे नंबर पर पहुंचा बिहारः

शिक्षा व्यवस्था के क्षेत्र मे बिहार सबसे पीछे है, जो 28वें नंबर पर खिसक गया है। बिहार 28वें नंबर पर है, तो मान लीजिए कि हम सबसे पीछे हैं। हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य ने भी शत-प्रतिशत शिक्षा की व्यवस्था की है। उत्तराखंड में जाकर देख लीजिए, जम्मू कश्मीर में जहां आतंकवाद है वहां देख लीजिए, किसी राज्य को उठाकर देख लीजिए उन सबकी दशा बिहार से अच्छी है। बता दें कि प्रशांत किशोर 238 दिनों से पदयात्रा कर रहे हैं, वहीं बिहार में 2500 किलोमीटर से भी अधिक का सफर तय कर गांव-गांव घूम रहे हैं। इन दिनों समस्तीपुर में ग्रामीण जनता को वोट की ताकत का एहसास दिला रहे हैं।

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