Prime Chaupal: केंद्र और प्रदेश सरकारें ग्रामीण विकास के लिए धन आवंटित करती हैं, ताकि देश के हर हिस्से में समग्र विकास हो सके। हालांकि, कई गांव आज भी विकास की राह में पीछे हैं। सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं और उनके फंड का सही उपयोग न हो पाने की समस्या अब गंभीर होती जा रही है। इस मामले में हमारी टीम लखनऊ के गोसाईगंज विकासखंड के बरूआ गांव पहुंची और यहां की हालात पर गहरी नजर डाली। हमनें जो देखा, वह वाकई चौंकाने वाला था।
Read More: सफाई कर्मचारी लापता, स्कूल खंडहर में तब्दील! Gosainganj के जहांगीरपुर में सरकारी योजनाओं की खुली पोल
जर्जर और टूटी हुई दीवारें

गांव में विकास के इंतजार में जर्जर और टूटी हुई दीवारें अपने पुराने इतिहास को संजोए हुए खड़ी हैं। इन दीवारों में विकास की कोई झलक नहीं दिखती। सरकारें बदल चुकी हैं, प्रधान भी बदले, लेकिन इन दीवारों के हिस्से में सिर्फ इंतजार ही आया है। यह इंतजार उन वादों का है, जो कभी प्रधान और कभी सरकार ने ग्रामीणों से किए थे। सरकार ने विकास के कई वादे किए थे, लेकिन आज भी गांव में कोई बदलाव नहीं आया।
मिनी पंचायत भवन के सामने कचरे का ढेर
यहां के कुछ दृश्य देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गांव में विकास की स्थिति क्या है। मिनी पंचायत भवन के सामने कचरे का ढेर पड़ा हुआ है। गांव में चलने के लिए भी सही रास्ता नहीं है। नालियां कचरे से भरी हुई हैं। ग्राम पंचायत भवन की दीवार पर एक चेतावनी लिखी हुई है, जिसमें कहा गया है कि थूकते पकड़े जाने पर 500 रुपये का जुर्माना लिया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि जहां गांव की हालत ऐसी हो, वहां इस तरह की चेतावनी का क्या मतलब है?
विकास के नाम पर सिर्फ औपचारिकता

गोसाईगंज के बरूआ गांव में विकास के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं पूरी हो रही हैं। सड़क किनारे गंदगी का ढेर लगा हुआ है, और नालियां कचरे से भरी हैं। गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। एक ग्राम प्रधान के मुताबिक, यहां के लोग आज भी झोपड़ी में रह रहे हैं और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है। यह सवाल उठता है कि अगर ऐसे लोग जो बिल्कुल जरूरतमंद हैं, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, तो फिर कौन लोग इन योजनाओं के लाभार्थी बन रहे हैं?
सफाई व्यवस्था के नाम पर गांव में कोई सुधार नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि सफाई व्यवस्था के नाम पर गांव में कोई सुधार नहीं हुआ। पिछले रक्षा बंधन पर गांव में सफाई कर्मचारी आया था, लेकिन उसके बाद से किसी ने सफाई की जिम्मेदारी नहीं ली। गांववाले अपनी तरफ से सफाई करते हैं, लेकिन कोई सरकारी पहल नहीं है। प्रधान का कहना है कि गांव में सफाई के मामले में कुछ कार्य किए गए हैं, लेकिन लोग शिकायत करते हैं कि यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।
समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हो पाया

ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हो पाया है। वे आज भी सरकारी योजनाओं का इंतजार कर रहे हैं। जबकि प्रधान ग्राम पंचायत के सभी गांवों के प्रधान होते हैं, तो फिर एक गांव में काम करने और दूसरे को वंचित रखने का क्या तर्क है, यह प्रधान ही बता सकते हैं। फिलहाल, गांववाले उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक दिन उनकी भी सुनवाई होगी और विकास की योजनाएं जमीनी स्तर पर उतरेंगी।
Read More: सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ, गोसाईगंज के निजामपुर गांव में विकास की टूटी उम्मीदें