Phulera Dooj 2025:हर साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj) का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण और राधा रानी के सम्मान में मनाया जाता है, और इसे होली उत्सव की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है।

इस दिन विशेष रूप से भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा होती है, जिससे जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना की जाती है। वहीं, इस दिन तुलसी माता की पूजा भी अत्यधिक महत्व रखती है, और इसे जीवन में रंगों की तरह खुशियों से भरने के रूप में देखा जाता है।
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फुलेरा दूज पर तुलसी माता की पूजा का महत्व

फुलेरा दूज के दिन तुलसी माता की पूजा करने से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है। इस दिन खासतौर पर तुलसी चालीसा का पाठ करने की भी परंपरा है, जो शारीरिक और मानसिक शांति के लिए लाभकारी माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने और उसे पंचामृत अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और शुभ फल मिलते हैं। इसके अलावा, इस दिन पीले फूल और गुलाल भी भगवान कृष्ण को अर्पित करने की परंपरा है, जिससे जीवन में रंग और उल्लास आता है।
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फुलेरा दूज का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

फुलेरा दूज का पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन कृष्ण और राधा की आराधना का दिन होता है, और इसे समर्पित भाव से मनाया जाता है। इसके माध्यम से लोग भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम का इज़हार करते हैं। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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तारीख और पूजा समय

इस साल, फुलेरा दूज का पर्व 1 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है। यह दिन विशेष रूप से भगवान कृष्ण और राधा रानी के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्त लोग कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं और साथ ही तुलसी माता की पूजा में भी विशेष ध्यान देते हैं।
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फुलेरा दूज और होली का संबंध

फुलेरा दूज, होली के पर्व से जुड़ा हुआ है। यह पर्व होली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। फाल्गुन माह के इस दिन से ही रंगों की होली की तैयारी शुरू हो जाती है, और लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल से शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन की पूजा से जुड़े रस्में और परंपराएं समाज में रंगों और खुशी का माहौल उत्पन्न करती हैं।