SC on Freebies: चुनावों के समय राजनीतिक दलों की ओर से जनता को लुभाने के लिए मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीमकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है।हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी देखा गया कि, आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने जनता से खूब मुफ्त योजनाओं का लाभ देने का वादा किया।इनमें फ्री बिजली से लेकर महिलाओं के खाते में कैश ट्रांसफर का वादा शामिल था जिस पर सुप्रीमकोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है।
Read More:PMVY:क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना? लाभार्थियों को रोजाना रुपये पाने का मिलेगा सुनहरा अवसर
मुफ्त की योजनाओं पर सुप्रीमकोर्ट की सख्त टिप्पणी

दरअसल,बीते काफी समय से देखा जा रहा है कि, चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दल वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए जनता को मुफ्त सुविधाएं देने का वादा करते हैं।केंद्र और राज्य सरकारों की मुफ्त राशन योजना के साथ ही लाडली बहन, किसान सम्मान निधि और ऐसी दूसरी अन्य योजनाएं जिनके नाम पर सीधे बैंक खातों में रकम ट्रांसफर की जा रही है।पार्टियों की इस तरह की योजनाओं से भले उनका वोट बैंक बढ़ रहा लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
“मुफ्त की योजनाओं के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं”
सुप्रीमकोर्ट में जस्टिस बीआर गवई ने पार्टियों की ओर से मुफ्त की घोषणाओं पर कहा कि,यह दुर्भाग्य है लोग मुफ्त में मिलने वाली सुविधाओं के कारण काम करने से बचने लगे हैं मुफ्त में उनको राशन मिल रहा है बिना काम किए पैसे मिल रहे हैं ऐसे में राष्ट्र के विकास में योगदान देकर उन्हें हम मुख्यधारा के समाज का हिस्सा बनाने के बजाए क्या हम परजीवियों का एक वर्ग नहीं बना रहे हैं।जस्टिस ने कहा,दुर्भाग्य से इन मुफ्त सुविधाओं की वजह से जो चुनावों से पहले योजनाएं घोषित की जाती हैं कोई लाडली बहना,अन्य दूसरी योजना इसके कारण लोग काम करने को तैयार नहीं है।

Read More:Guru Ravidas Jayanti 2025: जानिए एक महान संत के जीवन और उनके योगदान की कहानी
शहरी बेघरों से जुड़ी याचिका पर SC में सुनवाई
सुप्रीमकोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शहरी बेघरों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, हमें बताए आप इस मिशन को कब तक अंतिम रुप देंगे इस मामले पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद रखी है।आपको बता दें कि,ऐसा पहली बार नहीं है।
जब सुप्रीमकोर्ट ने मुफ्त की योजनाओं पर राजनीतिक दलों को घेरा है इससे पहले बीते साल 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा था कि, राजनीतिक दल हमेशा चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं की घोषणा करते हैं अधिक वोट पान के लालच में पार्टियां ऐसा करती हैं इसका उदाहरण हाल में दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखा गया।जिसके कारण लोगों में काम करने की इच्छा समाप्त होती जा रही है देश के विकास के लिए यह सही नहीं है।