Pawan Kalyan News: राजनीति में धमाकेदार एंट्री के बाद ले रहे वाराही दीक्षा, इतने दिन तक नहीं खाएंगे अन्नदक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपर स्टार पवन कल्याण (Pawan Kalyan) की आंध्र प्रदेश की राजनीति में धमाकेदार एंट्री हुई है। उनकी जनसेना पार्टी ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप पवन कल्याण उपमुख्यमंत्री बने हैं। पवन कल्याण की जेएसपी (JSP) ने लोकसभा की दोनों सीटों पर अपनी जीत दर्ज की। पार्टी लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हुए विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। उसने सभी 21 सीटों पर जीत हासिल की और वाईएसआरसीपी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया।
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वाराही दीक्षा की शुरुआत
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राज्य की जनता की सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए पवन कल्याण 26 जून बुधवार से वाराही दीक्षा ले रहे हैं, जो 11 दिनों तक चलेगी। इस दीक्षा में देवी वाराही अम्मावरी की पूजा की जाती है। वाराही दीक्षा के नियम बहुत कठोर होते हैं, जिसमें उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण को 11 दिनों तक अन्न का सेवन नहीं करना होगा। इससे पहले, जून 2023 में उन्होंने देवी वाराही की पूजा कर वाराही विजया यात्रा का शुभारंभ किया था और दीक्षा ली थी। आइए जानते हैं कि वाराही अम्मावरी दीक्षा क्या है और इसके क्या लाभ होते हैं।
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देवी वाराही का स्वरूप
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देवी वाराही का स्वरूप अत्यंत भयंकर माना जाता है, लेकिन वह अपने भक्तों पर दया करती हैं और उन्हें वरदान देती हैं। उनका मुख वराह के समान है। अष्टभुजाओं वाली देवी वाराही अपने हाथों में चक्र, गदा, हल, पाश, अंकुश और शंख धारण करती हैं। कमल के आसन पर विराजमान देवी वाराही के वाहन में सिंह, घोड़ा और सांप शामिल हैं।
कौन हैं देवी वाराही?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी वाराही 10 महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं और वह शक्ति का एक रूप हैं। वाराही का अर्थ देवी पृथ्वी से भी है। मार्कंडेय पुराण में देवी वाराही का उल्लेख है, जिसमें बताया गया है कि भगवान विष्णु के वराह अवतार से ही देवी वाराही की उत्पत्ति हुई है। ललिता सहस्रनाम में भी इस देवी का वर्णन है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी वाराही ने कई राक्षसों का अंत कर धर्म की स्थापना की थी, जैसे अंधकासुर, शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबिज।
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वाराही अम्मावरी दीक्षा के नियम
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वाराही अम्मावरी दीक्षा ज्येष्ठ माह के अंत या आषाढ़ माह में ली जाती है। यह दीक्षा 9 या फिर 11 दिनों तक चलती है। दीक्षा लेने वाले व्यक्ति को अन्न का सेवन नहीं करना होता है उसे केवल सीमित मात्रा में सात्विक भोजन करना होता है। दीक्षा के दौरान जमीन पर सोना और नंगे पैर रहना होता है। इन 9 या 11 दिनों में देवी वाराही की सुबह और शाम को पूजा की जाती है। दीक्षा के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और मांस, शराब या अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करते है।
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वाराही दीक्षा के लाभ
देवी वाराही की दीक्षा का सही से पालन करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और उसके कार्य सफल होते हैं। वाराही देवी की कृपा से जीवन में आने वाले संकट और कार्यों में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। यश और कीर्ति की प्राप्ति के लिए भी वाराही दीक्षा ली जाती है, जिससे समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। देवी वाराही की पूजा से व्यक्ति निरोगी रहता है और उसके रोग और दोष दूर होते हैं। हल और मूसल धारण करने वाली देवी वाराही की पूजा करने से किसानों को अच्छी फसल मिलती है और उनका घर धन-धान्य से भर जाता है। वाराही दीक्षा लेने से प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद, कोर्ट केस आदि में सफलता प्राप्त होती है।