Bihar Reservation:पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है।इस फैसला से नीतीश सरकार (Nitish government) को बड़ा झटका लगा है। दरअसल हाई कोर्ट ने गुरुवार (20 जून) को ईबीसी, एससी और एसटी के लिए 65 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया है। वहीं बिहार सरकार ने पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण (Reservation) की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था।
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वहीं अब इस फैसले को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। वहीं मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने विगत 11 मार्च को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे गुरुवार को सुनाया गया।जिसे गुरुवार यानी की आज सुनाया गया।
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जानें क्या था कानून?
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आपको बता दें कि इस याचिका में राज्य सरकार द्वारा 21नवंबर,2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई थी, जिसमें एससी, एसटी,ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है,जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में दिया जा सकता है जिसमें ईडब्लूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण (Reservation)भी शामिल है।
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किस वर्ग की कितनी हिस्सेदारी?
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बिहार सरकार ने पिछले साल के अंत में विधानसभा के पटल पर राज्य के आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़े रखे गए थे। सरकार ने यह भी बताया कि राज्य की सरकारी नौकरियों में किस वर्ग की कितनी हिस्सेदारी है। बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत है और सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं।वहीं नौकरी के मामले में दूसरे नंबर पर 63 फीसदी आबादी वाला पिछड़े वर्ग है। पिछड़ा वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं।
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अभी किसे कितना आरक्षण?
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वहीं देश में 49.5% आरक्षण (Reservation) है। OBC को 27%, SC को 15% और ST को 7.5% आरक्षण मिलता है। इतन ही नहीं आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण मिलता है। इस हिसाब से आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के पार जा चुकी है। हालांकि,नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता.बिहार में भी पहले आरक्षण की सीमा 50% ही थी।