Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक 2024 खेलों का शानदार आगाज हो चुका है, और इस बार के खेल दुनिया भर में उत्साह और जोश के साथ देखे जा रहे हैं। भारत अपने पैरा-एथलीट्स के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए पूरी तरह तैयार है। इस कड़ी में, भारतीय जूडो खिलाड़ी कपिल परमार ने J1 60 किग्रा में कांस्य पदक जीतकर एक नई उपलब्धि हासिल की है। 5 सितंबर को आयोजित कांस्य पदक के मुकाबले में कपिल ने ब्राजील के एलिल्टोन डि ओलिवेरा को एकतरफा 10-0 से हराया।
भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि
कपिल परमार ने अपने प्रदर्शन से भारत को गर्वित किया है। उन्होंने पैरालंपिक खेलों के इतिहास में जूडो में पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बनकर इतिहास रचा है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में अब तक भारत की कुल पदकों की संख्या 25 हो गई है, जिसमें 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। यह प्रदर्शन भारत के पैरालंपिक इतिहास में अब तक का सबसे बेहतरीन है। मेडल टैली में भारत वर्तमान में 15वें स्थान पर पहुंच चुका है, जबकि टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने 5 गोल्ड समेत कुल 15 पदक जीते थे।
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कपिल परमार का संघर्ष

कपिल परमार की यात्रा बेहद प्रेरणादायक है। एक दुर्घटना के चलते कपिल की आंखों की रोशनी चली गई थी। वह दुर्घटना के समय खेल रहे थे और गलती से पानी के पंप को छूने के कारण उन्हें बिजली का जोरदार झटका लगा, जिससे वे छह महीने तक कोमा में रहे। करंट लगने से उनकी आंखों की रोशनी चली गई और वे 80 प्रतिशत दृष्टिहीन हो गए। बावजूद इसके, कपिल ने अपनी कठिनाइयों को पार करते हुए जूडो खेलना जारी रखा।
कपिल परमार ने विपरीत परिस्थितियों में जूडो को अपना जीवन बना लिया। उन्होंने अपने भाई ललित के साथ मिलकर चाय की दुकान चलाकर अपने परिवार की जरूरतों को पूरा किया, लेकिन अपने जुनून को कभी नहीं छोड़ा। अब तक, कपिल परमार 17 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और 8 स्वर्ण पदक सहित कुल 13 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं।
भारतीय पैरालंपिक समिति की उम्मीदें हुई पूरी
भारतीय पैरालंपिक समिति ने पेरिस खेलों से पहले कम से कम 25 पदक जीतने की उम्मीद जताई थी, जो अब पूरी हो चुकी है। हालांकि, स्वर्ण पदकों की संख्या दोहरी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रही, लेकिन कुल मिलाकर भारतीय पैरा-एथलीट्स का प्रदर्शन प्रशंसा के योग्य रहा है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में कपिल परमार के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय पैरा-एथलीट्स के लिए कोई भी बाधा असंभव नहीं है। उनकी मेहनत, लगन और संकल्प ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत सफलता दिलाई है बल्कि भारत का नाम भी ऊंचा किया है।
इस शानदार उपलब्धि के साथ, भारत की उम्मीदें और भी ऊंची हो गई हैं कि आने वाले दिनों में और भी भारतीय एथलीट स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाएंगे। कपिल परमार की यह कहानी प्रेरणा देती है और साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद, जुनून और संघर्ष से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।