Pakistan vs Balochistan:पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्वतंत्रता की मांग करने वाले बलूच विद्रोही गुटों ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर हमले किए हैं। इन हमलों के परिणामस्वरूप चार प्रमुख शहरों में पाकिस्तानी सुरक्षाबल बैकफुट पर दिखाई दिए और कुछ स्थानों पर सरकारी संस्थानों को आग के हवाले कर दिया गया।
Read more:IMF का फैसला या साजिश? POK को 1 अरब डॉलर, पाकिस्तान की मदद पर भारत की कड़ी चेतावनी!
तुरबत, केच, क्वेटा और पंजगुर में हुए हमले
विद्रोहियों ने तुरबत, केच, क्वेटा और पंजगुर शहरों में हमले किए। तुरबत के डी बलोच इलाके में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमला हुआ, हालांकि हताहतों या नुकसान की पुष्टि नहीं हो सकी है। वहीं, केच जिले के बुलेदा इलाके में जोरदार विस्फोटों और भारी गोलीबारी की खबरें हैं। इस क्षेत्र में संचार सीमित होने के कारण विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है।
क्वेटा और पंजगुर में सरकारी संस्थानों पर हमले
बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में हजारगंजी और फैजाबाद इलाकों में पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर दो ग्रेनेड हमले किए गए। पंजगुर के वाशबोद इलाके में CPEC हाइवे को बंद कर हथियारबंद लोगों ने वाहनों की तलाशी ली और यात्रियों की पहचान जांची। इसके अलावा, दो पुलिस वाहन जब्त किए गए और उनमें मौजूद हथियार कब्जे में लिए गए। एक पुलिस थाने को कब्जे में लेकर उसमें आग लगा दी गई। बोनिस्तान इलाके की एक चेकपोस्ट भी हमलावरों के नियंत्रण में आ गई।
Read more:SSC CGL 2025 में बड़ा उलटफेर? नई तारीख आई सामने.. जानिए कब है परीक्षा
‘डेथ स्क्वाड’ के सदस्य घायल
सरकारी समर्थन प्राप्त मिलिशिया ‘डेथ स्क्वाड’ के कमांडर कासिम के नेतृत्व में काम करने वाले कुछ सदस्यों के घायल होने की खबर है। हाल ही में हौशाब जिले में एक बड़ा सशस्त्र अभियान हुआ, जिसमें विद्रोहियों ने इलाके का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। NADRA कार्यालय और लेविज स्टेशन को जला दिया गया। इसके अलावा, M8 CPEC हाइवे पर एक नाकेबंदी के दौरान 10 गैर-स्थानीय नागरिकों को बंधक बना लिया गया।
पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर संकट
बलूच विद्रोहियों के इस बड़े हमले ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर संकट में डाल दिया है। विद्रोहियों की बढ़ती गतिविधियाँ और सरकारी संस्थानों पर हमले पाकिस्तान सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो बलूचिस्तान में स्थिति और भी बिगड़ सकती है।