CEC-EC बिल 2023 पर विपक्ष का हंगामा AAP सांसद राघव चड्ढा ने जमकर किया विरोध

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

CEC-EC: संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे सप्ताह में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए एक नए बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी हंगामा देखा गया.एक तरफ जहां सत्ता पक्ष के लोग इस बिल को जरूरी बता रहे हैं तो वहीं विपक्ष का कहना है कि,सरकार इस बिल को लाकर देश में लोकतंत्र की परंपरा को खत्म करना चाहती है.आखिर कौन सा है ये बिल इसको लेकर हम आपको पूरी जानकारी देंगे और क्यों सत्ता पक्ष और विपक्ष में इसमें आपसी सहमति नहीं बन पा रही है इसके बारे में भी बताएंगे।

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राज्यसभा से पास हुआ CEC-EC बिल 2023

दरअसल,12 दिसंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा एक विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया.विधेयक में देश के मुख्य न्यायधीश की जगह चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने वाले पैनल में एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है. विपक्ष की ओर से इसका जोरदार विरोध किया जा रहा है साथ ही कुछ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने भी इसका विरोध किया है।

आम आदमी पार्टी ने बिल का विरोध किया

आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त 2023 विधेयक के राज्यसभा से पारित हो जाने पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है.आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि,सरकार ने लोकतंत्र को कुचलने का काम किया है और चुनाव आयोग को कमजोर करने का काम कर रही है।

“देश में नहीं हो पाएगा निष्पक्ष चुनाव”

उन्होंने कहा कि,अगर देश में निष्पक्ष चुनाव आयोग नहीं होगा तो क्या निष्पक्ष चुनाव हो पाएगा…अगर स्वतंत्र,भेदभावरहित चुनाव आयोग नहीं होगा तो क्या स्वतंत्र,निष्पक्ष चुनाव हो पाएगा….राघव चड्ढा ने सुप्रीमकोर्ट के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए कहा 3 सदस्यों की समिति बनाइए,प्रधानमंत्री,नेता प्रतिपक्ष और चीप जस्टिस ऑफ इंडिया और समिति ये तय करे कि,कौन चुनाव आयोग में शामिल होगा।

राघव चड्ढा ने कहा कि,अगर चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से खिलवाड़ होगा तो ये चुनाव से खिलवाड़ होगा…इसलिए हम इस पर मिलकर सलाह करेंगे,कानूनी राय लेंगे और अगर सबकी कानूनी राय बनती है तो इस कानून को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देंगे…राघव चड्ढा ने आगे बताया इस साल मोदी सरकार ये दूसरा बिल लेकर आई है जिसमें सुप्रीमकोर्ट के फैसले को बदला है…इससे पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली सेवा बिल लाकर सुप्रीमकोर्ट के 5 जजों के फैसले को पलट दिया था कुछ इसी तरह का इस बार भी हुआ है।

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