“70 साल की उम्र के बाद राजनीति से अलग होना चाहिए”, पूर्व केंद्रीय मंत्री Ashwini Choubey ने चुनावी राजनीति से लिया संन्यास

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Ashwini Choubey News

Ashwini Choubey News: पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Choubey) ने बक्सर में अपने तीन दिवसीय ‘नमन यात्रा’ के दौरान चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का एलान किया। उन्होंने कहा, “70 साल की उम्र के बाद सभी को चुनावी राजनीति से अलग हो जाना चाहिए।” इस मौके पर चौबे ने बक्सर लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी रहे मिथिलेश तिवारी पर भी निशाना साधा। जिला अतिथि गृह में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चौबे ने कहा, “सांसद तो एक ही होता है। कोई सड़क का सांसद थोड़े न होता है। हम कह दें कि हम सड़क के प्रधानमंत्री हैं, सड़क के राष्ट्रपति हैं, तो यह ठीक नहीं है।” गौरतलब है कि चुनाव हारने के बाद तिवारी खुद को ‘सड़क का सांसद’ कहते हैं।

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चुनाव हारने का कारण

चौबे ने चुनाव हारने पर कहा, “हम सब चुनाव नहीं हारे हैं, हम सबका घमंड चुनाव हारा है। यहां से कोई कार्यकर्ता चुनाव लड़ता, तो जरूर जीतता। मेरे कार्यकाल में 10 साल में जो काम हुआ, उसकी भी कहीं चर्चा नहीं हुई। चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें जहां भेजा, वहां वह गए। बक्सर नहीं भेजा गया, तो यहां नहीं आए।”

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बक्सर से बना रहेगा संबंध

चौबे ने कहा कि बक्सर से उनका संबंध अंतिम सांस तक बना रहेगा। उन्होंने श्रीराम दर्शन केंद्र के निर्माण के लिए प्रयासरत रहने की बात कही और इसे पूरा करने का संकल्प लिया। पूर्व मंत्री ने बताया कि उन्होंने बक्सर से बनारस और भागलपुर तक जलमार्ग से कार्गो परिचालन के लिए सरकार को प्रस्ताव दिया था। यह 100 करोड़ रुपये का पायलट प्रोजेक्ट है, जिसकी सहमति मिल गई है और डीपीआर बनकर तैयार हो गया है।

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छात्र राजनीति से शुरुआत

अश्विनी चौबे का राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ और फिर भाजपा से जुड़े। 1977 में जेपी आंदोलन में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थे। इमरजेंसी के दौरान मीसा कानून के तहत गिरफ्तार होकर करीब 24 महीने तक जेल में रहे। 1995 में पहली बार भागलपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हुए।

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बिहार सरकार में महत्वपूर्ण पद

चौबे 2005 से 2010 तक बिहार सरकार में नगर विकास एवं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री रहे। 2010 से 2013 तक स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। 2014 में पार्टी ने उन्हें बक्सर लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया और पहली बार सांसद निर्वाचित हुए। 2017 में मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री बने।

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2019 में भी मिली जीत लेकिन 2024 में नहीं मिला टिकट

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चौबे को एक बार फिर से बक्सर से टिकट दिया। वे लगातार दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला। टिकट नहीं मिलने को लेकर चौबे कई बार अपना दर्द भी बयां कर चुके हैं। अश्विनी चौबे का चुनावी राजनीति से संन्यास लेना भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। उनका राजनीतिक सफर कई महत्वपूर्ण मोड़ों से गुजरा है और उनके अनुभव से निश्चय ही पार्टी और समाज को लाभ हुआ है। अब देखना होगा कि उनके संन्यास के बाद बक्सर और भारतीय राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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