One Nation One Election: अब एक देश एक चुनाव की बारी, मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी एजेंडा, जल्द ले सकती है बड़ा फैसला

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
One Nation One Election

One Nation One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के मौजूदा कार्यकाल में कई प्रमुख नीतिगत बदलाव और योजनाओं पर काम चल रहा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मौजूदा सरकार एक देश एक चुनाव की योजना को अगले कुछ वर्षों में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह योजना लंबे समय से राजनीतिक चर्चा का विषय रही है और हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसे प्रमुखता से उठाया था।

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एक देश, एक चुनाव का महत्व

‘एक देश, एक चुनाव’ की नीति का उद्देश्य भारत में सभी प्रमुख चुनावों को एक ही समय पर आयोजित करना है, जिससे चुनावी खर्च और समय की बचत होगी और सरकारी कामकाज पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। इस पर एक समिति पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। नीति आयोग भी जल्द ही अपनी रिपोर्ट जारी करेगा, जिससे यह योजना मूर्त रूप ले सकती है।

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समान आचार संहिता पर की थी चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी ने समान आचार संहिता की आवश्यकता की बात की थी, जो सभी राज्यों में समान कानूनों के लागू होने की दिशा में एक कदम होगा। इस पर कम से कम पांच बीजेपी शासित राज्यों ने समितियाँ बनाई हैं और उत्तराखंड में इसे लागू भी कर दिया गया है। अन्य राज्यों की रिपोर्ट भी जल्द आने की संभावना है, जिसके बाद इस पर विस्तृत चर्चा होगी। केंद्र सरकार की ओर से संकेत मिले हैं कि जनगणना जल्द ही शुरू की जाएगी। हालांकि जातिगत जनगणना पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन सरकार कास्ट सेंशस के खिलाफ नहीं है। जनगणना का उद्देश्य सही जनसंख्या आंकड़े जुटाना और विभिन्न योजनाओं के लिए लक्षित नीतियाँ बनाना है।

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मोदी सरकार के पहले सौ दिन

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले सौ दिनों के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण वादे किए थे। इन सौ दिनों में, सरकार ने तेजी से फैसले लेकर कई बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को आगे बढ़ाया है और युवा, किसान, गरीब जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। इस दौरान सरकार ने लाखों रुपए की परियोजनाओं को गति दी और कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया। सरकारी सूत्रों का कहना है कि बीते वर्षों में लागू की गई नीतियों में किसी भी प्रकार का बड़ा बदलाव नहीं होगा। मोदी सरकार का एजेंडा 2014 से लेकर अब तक एक जैसा ही है, और इसमें कोई परिवर्तन करने की योजना नहीं है। नीतियों में कोई बदलाव या यू-टर्न तब ही किया जाएगा जब उसके लिए आवश्यक समझा जाएगा, लेकिन आम तौर पर सरकार की नीतियाँ वही रहेंगी जो पहले थीं।

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वामपंथियों और शिक्षा नीति पर दी प्रतिक्रिया

नई शिक्षा नीति के संबंध में सरकारी सूत्रों ने कहा कि व्यापक सहमति के बाद इसे लागू किया गया है। वामपंथी दलों ने भी इस पर विरोध नहीं किया, जो कि इस बात का संकेत है कि यह नीति सभी के लिए स्वीकार्य है। सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रमुख मुद्दों पर सरकार की नीतियों में कोई बदलाव नहीं होगा और फैसले व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही लिए जाएंगे।

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मंत्रिमंडल की निरंतरता का दिया संदेश

मोदी सरकार ने मंत्रिमंडल के गठन के समय निरंतरता का संदेश दिया था और यह निरंतरता अभी भी जारी है। सरकार का कहना है कि बीजेपी की सीटें कम होने या किसी प्रकार के दबाव के कारण नीतियों में बदलाव करने का कोई सवाल नहीं है। सरकार वही काम करेगी जो पिछले दस वर्षों से करती आई है, और आने वाले समय में भी इसी तरह से कार्य करेगी।

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सेवा सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रम होंगे आयोजित

17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है, जो इस बार मोदी सरकार के पहले सौ दिनों के समापन के दिन के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर सेवा सप्ताह के तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें महिलाओं, युवाओं और किसानों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। महिलाओं के लिए लखपति दीदी की संख्या को एक लाख से अधिक किया गया है और किसानों के लिए नई किश्तें जारी की गई हैं।

केंद्र सरकार का एक देश एक चुनाव, समान आचार संहिता, और जनगणना जैसी नीतियों पर काम करने का एजेंडा इस बात का संकेत है कि मोदी सरकार लंबे समय से तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन नीतियों के माध्यम से सरकार का उद्देश्य चुनावी खर्च को कम करना, कानूनी व्यवस्था को एक समान बनाना और सही जनसंख्या आंकड़े जुटाना है। इसके साथ ही, पहले सौ दिनों में किए गए कार्यों और वादों की पूर्ति से स्पष्ट होता है कि सरकार अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में संजीदा है।

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