एक बार फिर चर्चा में ‘सेंगोल’..सपा सांसद ने की हटाने की मांग,शुरु हो गया सियासी घमासान

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Sengol In Parliament: संसद में सेंगोल को हटाने की मांग एक बार फिर चर्चा में आ गया है. यूपी के मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने संसद में सेंगोल को हटाने की मांग की है. उन्होंने इसे हटाने की मांग करते हुए एक चिट्ठी भी लिखी है. इस मामले पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. अखिलेश यादव ने कहा, “हमारे पार्टी के सांसद इसलिए ऐसा कह रहे होंगे क्योंकि जब सेंगोल पहली बार लगा था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाकायदा उसे प्रणाम किया था. इस बार शपथ लेते समय शायद वो भूल गए. उसी को याद दिलाने के लिए शायद पार्टी के सांसद ने कुछ इस तरह का पत्र लिखा है.”

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अखिलेश यादव इस मामले पर क्या बोले ?

इस मामले पर जब उनसे पूछा गया कि उनकी क्या राय है, अखिलेश ने कहा, “जब सेंगोल लगा था तब उस समय जो मेरी राय थी, उसे आर्काइव से निकाल कर चलाइए.” सेंगोल के रहने पर अखिलेश ने कहा, “जब पीएम, प्रणाम करना भूल गए तो इसका मतलब उनकी भी कुछ इच्छा और होगी.”

आरके चौधरी ने स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को लिखा पत्र

आरके चौधरी ने स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को लिखे पत्र में कहा कि सेंगोल की जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए, क्योंकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. चौधरी ने कहा, “संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में ‘सेंगोल’ स्थापित किया. ‘सेंगोल’ का मतलब ‘राज-दंड’ होता है. इसका मतलब ‘राजा का डंडा’ भी होता है. रियासती व्यवस्था को खत्म करने के बाद देश आजाद हुआ. देश राजा के डंडे से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाया जाए.”

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के. सुरेश ने की टिप्पणी

सेंगोल पर सपा सांसद आरके चौधरी की टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने कहा, “मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या विचार व्यक्त किए हैं. मुझे जानकारी नहीं है लेकिन समाजवादी पार्टी ने अपनी राय व्यक्त की है और अपना बयान दिया है. इसलिए, वे इस पर विचार करेंगे.” बता दे कि इस विवाद के बीच, सपा सांसद की मांग ने संसद में नई बहस छेड़ दी है, जिसमें संवैधानिक प्रतीकों और राजतंत्र के प्रतीकों के महत्व पर चर्चा हो रही है.

क्या है ये सेंगोल

सेंगोल शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘नीतिपरायणता’. सेंगोल एक राजदंड होता है। चांदी के सेंगोल पर सोने की परत चढ़ी होती है और इसके ऊपर भगवान शिव के वाहन नंदी महाराज विराजमान होते हैं. संसद में स्थापित सेंगोल पांच फीट लंबा है और इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) का आशीर्वाद प्राप्त है. 1947 के इसी सेंगोल को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया गया. सेंगोल विशेष अवसरों पर बाहर ले जाया जाएगा, ताकि जनता भी इसके महत्व से रूबरू हो सके.

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