UPSC Lateral Entry: केंद्र सरकार ने आज लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी के चेयरमैन को पत्र लिखकर विज्ञापन पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं. यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लिया गया है और इसका उद्देश्य सीधी भर्ती की प्रक्रिया को पुनर्मूल्यांकन के तहत लाना है.
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
आपको बता दे कि सरकार के इस यू-टर्न पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की प्रतिक्रिया सामने आई है. राहुल गांधी ने कहा, “हम संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ (Lateral Entry) जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर देंगे.” उन्होंने यह भी जोड़ा, “मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे. जय हिन्द.”
भाजपा का पलटवार
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की टिप्पणी पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार किया है. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “राहुल गांधी और उनके खानदान की आरक्षण और SC-ST, OBC के प्रति जो खानदानी विरासत है, वह किसी से छिपी नहीं है. उनकी अज्ञानता भी किसी से छिपी नहीं है.” उन्होंने आगे कहा, “मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि हमारे कैबिनेट के जो सचिव बने हैं, वे किस बैच के हैं? यदि उन्हें नहीं पता हो, तो हम बताते हैं कि वे 1987 बैच के हैं. जब उनकी पार्टी और उनके पिता की सरकार थी, तो उन्होंने OBC को आरक्षण क्यों नहीं दिया?”
केंद्रीय मंत्री का बयान
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा कि यह फैसला लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया गया है. मोदी सरकार का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. पत्र में कहा गया है कि ये पद विशेष हैं और इन पर नियुक्तियों को लेकर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. समीक्षा और सुधार की जरूरत है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस सामाजिक न्याय पर है.
भाजपा का ऐतिहासिक दृष्टिकोण
भाजपा (BJP) ने कहा कि लेटरल एंट्री (Lateral Entry) का प्रस्ताव कांग्रेस शासन में लाया गया था. कांग्रेस शासन के दौरान, मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, और सैम पित्रोदा जैसे लोगों को लेटरल एंट्री के माध्यम से सरकार में शामिल किया गया था. भाजपा ने इसे कांग्रेस द्वारा स्थापित एक प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया, जो अब उनकी आलोचना का निशाना बन रही है. इस प्रकार, केंद्र सरकार के लेटरल एंट्री विज्ञापन पर रोक लगाने के निर्णय ने राजनीतिक दलों के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है. राहुल गांधी और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर गहरा राजनीतिक मतभेद स्पष्ट हो गया है.