NPCI News: नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कदम उठाया है, जिसमें पुराने और इनएक्टिव मोबाइल नंबर से लिंक यूपीआई आईडी को हटाने का सुझाव दिया गया है। NPCI के मुताबिक, यह कदम ऑनलाइन पेमेंट को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए उठाया गया है। इस कदम से वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा, खासतौर पर उन पुराने नंबरों से जुड़े यूपीआई आईडी को लेकर जो अब सक्रिय नहीं हैं।
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31 मार्च 2025 से पुराने नंबर से लिंक UPI ID होगी इनएक्टिव

NPCI ने इस उद्देश्य के लिए एक नया फीचर पेश किया है, जो पुराने और इनएक्टिव मोबाइल नंबर से लिंक यूपीआई आईडी को इनएक्टिव कर सकेगा। यह फीचर 31 मार्च 2025 से प्रभावी होगा। इस बदलाव के बाद सभी बैंक और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSPs) को हफ्ते में एक बार अपने डेटाबेस को अपडेट करना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी पुराने या रिसाइकिल्ड मोबाइल नंबर से वित्तीय लेनदेन पर रोक लग सके और यूपीआई की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
रिसाइकिल्ड नंबर: क्या है यह और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
रिसाइकिल्ड मोबाइल नंबर उन नंबरों को कहते हैं जिन्हें किसी कारणवश डिस्कनेक्ट किया जाता है और 90 दिन बाद उन्हें किसी दूसरे उपभोक्ता को दे दिया जाता है। भारत में डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन (DoT) के नियमों के तहत, जब एक मोबाइल नंबर 3 महीने या उससे ज्यादा समय तक निष्क्रिय रहता है, तो उसे डिस्कनेक्ट कर दिया जाता है और फिर बाद में उसे नए उपयोगकर्ता को इश्यू कर दिया जाता है। ऐसे नंबरों से लिंक यूपीआई आईडी का इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं रहता, क्योंकि कोई भी दूसरा व्यक्ति इन नंबरों का इस्तेमाल कर सकता है।
UPI ऐप्स पर होगी सहमति की प्रक्रिया में बदलाव

अब, यूपीआई ऐप्स को अपने यूजर्स से यूपीआई लिंक्ड मोबाइल नंबर को पोर्ट करने के लिए उनकी सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे यूजर्स की सिक्योरिटी और वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इसके तहत, यूपीआई ऐप्स को यूजर से ऑप्ट-इन और ऑप्ट-आउट ऑप्शन के माध्यम से उनकी सहमति प्राप्त करनी होगी। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी यूजर को भ्रमित या डराकर सहमति प्राप्त नहीं की जाए।
UPI ऐप्स को दिया गया स्पष्ट निर्देश, सुरक्षा को प्राथमिकता

NPCI ने यूपीआई ऐप्स को निर्देश दिया है कि वे यूजर्स से सहमति लेने के दौरान किसी प्रकार की कंफ्यूजन या डर का माहौल न बनाएं। ऐप्स को यूजर्स को गुमराह करने या उन्हें किसी तरह से भ्रमित करने की अनुमति नहीं होगी। NPCI का मानना है कि इस प्रक्रिया से यूजर्स की सुरक्षा बढ़ेगी और यूपीआई ट्रांजैक्शन्स की विश्वसनीयता को बनाए रखा जा सकेगा।
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