“अब देरी की बजाय तेजी से सुनवाई होगी”,नए आपराधिक कानूनों पर बोले अमित शाह

Mona Jha
By Mona Jha

New Criminal Laws: देश में आज से यानी 1 जुलाई से तीन नए क्रिमिनल कानून लागू हो गए हैं। वहीं इस नए कानून के तहत कई प्रमुख बदलाव किए गए हैं।वहीं इस नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से बातचीत की और नए कानूनों से होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दी।

इस दौरान उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के बनाए गए कानून खत्म हो चुके हैं। अब देश में नए कानून लागू हो रहे हैं, जिनमें आरोपी को सजा देने की बजाय पीड़ित को न्याय देने पर ज्यादा जोर दिया गया है।

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न्याय संहिता में 358 धाराएं

अमित शाह ने कहा कि नए कानून भारत की संसद ने बनाए हैं। नए कानून से ट्रायल में कमी आएगी। पुरानी धाराएं हटाकर नई धाराएं जोड़ी गई हैं, अब दंड की जगह न्याय पर जोर है। भारतीय कानून के अनुसार अब तक भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी।

यह दंड संहिता 1860 में बनी थी। वहीं, अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद की मंजूरी मिली। भारतीय दंड संहिता (IPC) 511 धाराएं थीं। वहीं, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1898 में 484 धाराएं थीं। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में 167 प्रावधान थे। अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।

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“अब देरी की बजाय तेजी से सुनवाई होगी”

वहीं तीन नए आपराधिक कानूनों पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा “सबसे पहले मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देना चाहूंगा कि आजादी के लगभग 77 साल बाद हमारी अपराधी न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हो गई है। यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगी।

75 साल बाद इन कानूनों पर चर्चा की गई और आज जब ये कानून प्रभावी हो रहे हैं तो ब्रिटिश काल के कानून पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं। अब भारतीय संसद में बने नियम प्रभावी होंगे। दंड की जगह अब न्याय मिलेगा। अब देरी की बजाय तेजी से सुनवाई होगी और जल्द न्याय मिलेगा। पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों का बचाव होता था, लेकिन अब पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी सुरक्षा होगी।”

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नए आपराधिक कानूनों की विशेषताएं

देश में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों (New Crime Laws) में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) में कुल 511 धाराएं थीं, जिन्हें घटाकर अब 358 कर दिया गया है। नए कानून में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं और 33 अपराधों की सजा अवधि में वृद्धि की गई है। साथ ही, 83 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ाई गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।

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