love jihad: ‘लव जिहाद’ पर अब होगी उम्रकैद,योगी सरकार ने बढ़ाया कानून का दायरा…

Mona Jha
By Mona Jha

UPNews: उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन लव जिहाद जैसे मामलों को लेकर योगी सरकार ने सख्त रूप अख्तियार किया है। वहीं पूर्व में कैबिनेट से प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद आज राज्य सरकार अध्यादेश को विधानसभा पटल से पास कराएगी। सरकार ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक को विधानसभा से पास करने का फैसला किया है और इसे विधानसभा पटल पर पेश किया गया है। इसके अंतर्गत अब इनसे जुड़े अपराधों में अब सजा की अवधि आजीवन कारावास की दी जाएगी।

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10 लाख रुपये तक का जुर्माना

सरकार ने अवैध मतांतरण और विदेशी फंडिंग के साथ ‘लव जिहाद’ के मामलों में कानूनी कार्रवाई में सख्ती बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब इस प्रकार के मामलों में दोषियों को पहली बार उम्रकैद तक की सजा होगी। पूर्व में 10 वर्ष तक की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना था,

लेकिन अब यह सजा 14 वर्ष तक की होगी और जुर्माना 10 लाख रुपये तक भी हो सकता है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य है अवैध मतांतरण और उत्पीड़न के खिलाफ नागरिकों को सुरक्षित रखना।इस नए कानूनी प्रावधान से यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि महिलाओं के अधिकार को सुरक्षित किया जाए और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई की गंभीरता बढ़ाई जाए।

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कम स कम 20 साल की सजा या आजीवन कारावास

ऐसे मामले में आरोपित को कम से कम 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास तक की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाएगा। न्यायालय पीडि़त के इलाज के खर्च और पुनर्वास के लिए धनराशि जुर्माने के रूप में तय कर सकेगी। गंभीर अपराधों की भांति अब कोई भी व्यक्ति मतांतरण के मामले में भी एफआइआर दर्ज करा सकेगा। पहले मतांतरण से पीडि़त व्यक्ति, उसके स्वजन अथवा करीबी रिश्तेदार की ओर से ही एफआइआर दर्ज कराने की व्यवस्था की गई थी।

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कानून का दायरा और सजा दोनों बढ़ाने का प्रस्ताव

अब कानून का दायरा और सजा दोनों बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। सभी अपराधों को गैरजमानती बनाते हुए जमानत के आवेदन पर पहले लोक अभियोजक का पक्ष सुने जाने की व्यवस्था भी की गई है। इनका विचारण सेशन कोर्ट से नीचे नहीं होगा।

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यह भी किए गए प्रविधान

नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से दुर्बल, महिला, अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण: न्यूनतम पांच वर्ष से 14 वर्ष तक का कारावास तथा न्यूनतम एक लाख रुपये जुर्माना।सामूहिक मतांतरण : न्यूनतम सात वर्ष से 14 वर्ष तक की सजा तथा न्यूनतम एक लाख रुपये जुर्माना।मतांतरण के लिए नाबालिग की तस्करी : आजीवन कारावास व जुर्माना।

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