Fine on Burning Stubble: बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर लगने वाले जुर्माने में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के संशोधित नियम-2024 को लागू किया गया है। अब, पराली जलाने पर किसानों को अपनी भूमि के अनुसार जुर्माना अदा करना पड़ेगा।
छोटे किसानों पर 5000 रुपये और बड़े किसानों पर 30,000 रुपये का जुर्माना
नए नियमों के अनुसार, दो एकड़ से कम भूमि पर पराली जलाने वाले किसान को 5,000 रुपये का पर्यावरण क्षतिपूर्ति (जुर्माना) देना होगा। वहीं, दो से पांच एकड़ की भूमि पर पराली जलाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 30,000 रुपये का भारी जुर्माना भरना होगा। पहले, यह दरें क्रमशः 2,500, 5,000 और 15,000 रुपये थीं, लेकिन बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए जुर्माने की राशि को बढ़ा दिया गया है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत बना सख्त प्रावधान
सरकार द्वारा जारी नए नियम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए), 1986 के तहत सख्त प्रावधानों के तहत आते हैं। अब पर्यावरण संबंधी शिकायत दर्ज करना, उसकी जांच करना और आवश्यक कार्रवाई करना पहले से अधिक स्पष्ट हो गया है। इसके तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और पर्यावरण मंत्रालय के कार्यालयों में पर्यावरण संबंधी शिकायतों को दर्ज कराना और उन पर कार्रवाई करना आसान हो गया है।
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गजट नोटिफिकेशन में दिए स्पष्ट दिशा-निर्देश
केंद्र सरकार ने इस निर्णय के साथ एक गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है, जिसमें सभी दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से दिए गए हैं। इस नोटिफिकेशन में उल्लेख किया गया है कि दो से पांच एकड़ भूमि पर पराली जलाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना और पांच एकड़ से अधिक भूमि पर पराली जलाने पर 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए चलते उठाए कड़े कदम
भारत सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के कारण जनता के स्वास्थ्य पर हो रहे दुष्प्रभावों को रोकने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार का मानना है कि पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के राज्यों में वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। इस प्रदूषण से निपटने के लिए ही सरकार ने यह कड़े कदम उठाए हैं। संशोधित नियमों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इन नियमों को ड्राफ्ट पर किसी परामर्श के बिना ही लागू किया गया है।
नए नियमों से पर्यावरण संरक्षण की प्रक्रिया होगी आसान
सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (जांच और जुर्माना लगाने का तरीका) नियम, 2024 से जुड़े दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में बताया गया है कि कैसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में पर्यावरण संबंधी शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं। इसमें जांच की प्रक्रिया, निर्णय लेने की प्रक्रिया और जुर्माना लगाने के तरीकों को भी स्पष्ट किया गया है।
मगर किसानों में फैला असंतोष
हालांकि, सरकार के इस कदम को पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी माना जा रहा है, लेकिन किसानों में इसको लेकर नाराजगी भी है। किसानों का कहना है कि पराली जलाना उनकी मजबूरी है, और वे इससे बचने के लिए उपकरणों और मशीनों का उपयोग करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास इसके लिए आवश्यक संसाधन नहीं हैं। किसानों ने सरकार से मदद की मांग की है ताकि वे पराली जलाने के विकल्प अपना सकें और जुर्माने से बच सकें।
सरकार का दावा: ‘प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी कदम’
सरकार का दावा है कि पराली जलाने पर सख्ती का उद्देश्य बढ़ते प्रदूषण को रोकना है। सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए उपकरणों और अन्य संसाधनों की सुविधा देने की योजना बनाई है, जिससे उन्हें पराली जलाने की जरूरत न पड़े। सरकार का मानना है कि पराली जलाने के विकल्प और संसाधनों का सही उपयोग करके प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।