नोएडा के तर्ज पर अब गाजियाबाद में भी इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम होगा लागू

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

लखनऊ संवाददाता- मोहम्मद कलीम

  • बिना हेलमेट, सीट बेल्ट वाले वाहन चालकों के आसानी से कटेंगे चालान

लखनऊ: अब नोएडा के तर्ज पर गाजियाबाद में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लागू होगा। बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट वाले वाहन चालकों के खिलाफ भी चालान की कार्रवाई इसके माध्यम से आसानी से की जा सकेगी। इसके साथ ही ये कैमरा ऐसे लोगों की इमेज कैप्चर करने के साथ ही वाहन के नंबर के आधार पर खुद ही चालान काट देता है।

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सीसीटीवी विकसित करने की प्रक्रिया शुरू

गाजियाबाद नगर निगम ने शहर के वर्तमान सीसीटीवी कैमरों को अपडेट करना शुरू कर दिया है। नए सीसीटीवी कैमरों के इंस्टॉलेशन के जरिए इंटिग्रेटेड सीसीटीवी का जाल विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

वीडियो मैनेजमेंट सिस्टम को मिलेगी मजबूती

दरअसल, प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में इस प्रक्रिया को पूरी तरह लागू करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई थी और अब इसी के तहत गाजियाबाद के ट्रैफिक निगरानी व संचालन प्रक्रिया को स्मार्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इंस्टॉलेशन व अपग्रेडेशन की प्रक्रिया पूरी होने से शहर के वीडियो मैनेजमेंट सिस्टम (वीएमएस) तंत्र को मजबूती मिलेगी, जिससे यातायात के साथ ही अपराध समेत आपात स्थितियों के नियंत्रण में भी सर्विलांस के जरिए मदद मिलेगी। इन सभी कार्यों के संचालन व समन्व्य के लिए मास्टर सिस्टम इंटिग्रेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे

गाजियाबाद नगर निगम ने आरपीएफ माध्यम से मास्टर सिस्टम इंटिग्रेटर की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे हैं। ई-निविदा के जरिए कार्यों का आंवटन कर प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। जिस एजेंसी को मास्टर सिस्टम इंटिग्रेटर का दायित्व सौंपा जाएगा, उसे शहर में 500 से ज्यादा इंटीग्रेटेड सीसीटीवी कैमरों की लाइव फुटेज एसेसमेंट व स्टोरेज कैपेसिटी वाला वीएमएस विकसित करना होगा। कंट्रोल रूम संचालन, फीड स्टोरेज प्रक्रिया समेत सीसीटीवी के उच्चीकरण जैसी प्रक्रियाओं को मास्टर सिस्टम इंटिग्रेटर द्वारा पूर्ण किया जाएगा।

वीडियो मैनेजमेंट सिस्टम को पूर्ण करना होगा

इसके अलावा, रिमोट एसेसमेंट, कंट्रोल रूम एक्सेस, क्लाउड व स्टोरेज कैपेसिटी मैनेजमेंट समेत तमाम प्रक्रियाओं को पूर्ण करना होगा। इंटिग्रेटर का निर्धारण भी कई मानकों के आधार पर होगा तथा उन्हें इवैल्युएशन प्रक्रिया से गुजरते हुए वर्किंग प्रोटोटाइप समेत कई लक्ष्यों को पूर्ण करने के बाद ही कार्य आवंटित होगा।

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