- बच्चों में मोटापा, लम्बाई कम होने आदि का एनएचआरसी ने लिया संज्ञान
लखनऊ संवाददाता- मोहम्मद कलीम
Lucknow: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उच्च नमक, चीनी और अधिक वसा वाले डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से होने वाले स्वास्थ्य के नुकसान पर चिंता जताई है। क्वासी-न्यायिक निकाय ने इसे जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करने वाला मामला करार देते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल्स के चयन पर स्पष्ठ जानकारी दर्शाने के लिए नोटिस जारी किया है, ताकि उपभोक्ता आसानी से स्वस्थ विकल्प मिल सकें।
जिलाधिकारियों से मांगा रिपोर्ट
एनएचआरसी स्वास्थ्य मंत्रालय और एफएसएसएआई को बार-बार नोटिस जारी करता रहा है, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। अब जो नोटिस जारी किया गया है उसे नजऱअंदाज़ करना मुश्किल होगा। वहीं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बच्चों में मोटापा, गैर संचारी, कुपोषण, हृदय, निमोनिया, लम्बाई का कम होना आदि समस्याओं का मामला सामने आया। तो राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने 1 मार्च 2023 को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी।
वाराणसी की रहने वाली मानवाधिकार जननिगरानी समिति व सावित्री बाई फुले महिला पंचायत की श्रुति नागवंशी और शिरीन शबाना खान ने कहा कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ बनाने वाली कम्पनी को स्पष्ट चेतावनी दर्शानी चाहिए और स्टार आधारित रेटिंग प्रणाली से लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए।
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NHRC ने मामले को गंभीरता से लिया
मानवाधिकार जननिगरानी डॉ लेनिन रघुवंशी ने कहा की एनएचआरसी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी सुनवाई में निर्णय लिया, उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में एफएसएसएआई के लिए स्टार रेटिंग के विचार को त्यागना उचित होगा। अलर्ट या चेतावनी लेबल समय की मांग है। पिछले दो वर्षों से अधिक समय से पीपल नेटवर्क के लोग कह रहे हैं कि हमें बच्चे के स्वस्थ भोजन और स्वास्थ्य जीवन के अधिकार की रक्षा करने की आवश्यकता है। यह इस आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है और हमें उम्मीद है कि FSSAI इस पर ध्यान देगा।
डॉ. युवराज सिंह ने कहा कि यह धारणा कि अस्वास्थ्यकर भोजन केवल फल या मेवे मिलाने से स्वस्थ बन सकता है, गलत है और इसमें वैज्ञानिक आधार का अभाव है। सितारों का निर्धारण एक जटिल स्कोरिंग प्रणाली पर आधारित है जो फलों या मेवों को शामिल करने जैसे सकारात्मक कारकों को महत्व देता है। यह स्टार रेटिंग इन उत्पादों के कई हानिकारक प्रभावों को छुपा सकती है और जनता को एक भ्रामक संदेश दे सकती है।
नागवंशी ने कहा कि यात्रा आसान नहीं रही है। एनएचआरसी स्वास्थ्य मंत्रालय और एफएसएसएआई को बार-बार नोटिस जारी करता रहा है, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। अब जो नोटिस जारी किया गया है उसे नजऱअंदाज़ करना मुश्किल होगा। क्योंकि यह जनमानस की जरूरत है।