Nitish Kumar Reddy News : मेलबर्न में भारतीय युवा बल्लेबाज नीतीश कुमार रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) ने अपनी पहली टेस्ट फिफ्टी जड़कर खुद को साबित किया। जहां एक ओर भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी जैसे रोहित शर्मा, विराट कोहली, केएल राहुल, ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा जैसी मंझे हुए बल्लेबाजों को मेलबर्न की चुनौतीपूर्ण पिच पर रन बनाने में संघर्ष करना पड़ा, वहीं नीतीश ने दबाव के बावजूद शानदार पारी खेली। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते हुए, उन्होंने टीम की पारी को संभालते हुए अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया।

मेलबर्न की पिच पर परिस्थितियाँ बेहद कठिन थीं, लेकिन नीतीश ने उन परिस्थितियों में अपनी बैटिंग स्किल्स से अहम योगदान दिया। जब पंत आउट हो गए, तब नीतीश ने आकर टीम को स्थिरता दी और अपनी जिम्मेदारी निभाई। यह प्रदर्शन साबित करता है कि सेलेक्शन कमेटी का निर्णय, जो उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम में चुनने का था, पूरी तरह से सही था।
कंधे पर चोट के बावजूद अर्धशतक
नीतीश कुमार रेड्डी ने मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में कंधे पर चोट लगने के बावजूद अपने शानदार खेल का परिचय दिया। इस दर्द के बावजूद, उन्होंने 80 गेंदों पर 50 रन बनाए और टेस्ट करियर का पहला अर्धशतक जड़ा। इस दौरान उन्होंने 4 चौके और 1 छक्का भी मारा। उनका यह अर्धशतक, खासतौर पर ऑस्ट्रेलिया में आया, और यह उनके लिए एक यादगार उपलब्धि है। नीतीश ने यह साबित कर दिया कि वह किसी भी दबाव को झेलकर टीम के लिए अहम रन बना सकते हैं।

उनकी इस पारी ने यह संकेत दिया कि वे एक सक्षम और संघर्षशील बल्लेबाज हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी टीम को मजबूत बना सकते हैं। नीतीश के इस योगदान से भारतीय टीम को राहत मिली और उनकी पारी ने टीम को कठिन समय से बाहर निकाला।
नीतीश का टेस्ट करियर और फैंस की प्रतिक्रिया
नीतीश कुमार रेड्डी ने अब तक कुल 4 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 222 रन बनाए हैं। मेलबर्न में पहली फिफ्टी ने उनके फैंस को उनका असली टैलेंट दिखाया और भविष्य के लिए उम्मीदों को जन्म दिया है। सोशल मीडिया पर फैंस ने उनकी सराहना की और उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य बताया। उनके आत्मविश्वास और खेल भावना ने उन्हें एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभारा है।

फैंस ने नीतीश को भविष्य का सितारा करार देते हुए उनकी इस सफलता को भारतीय क्रिकेट की नई दिशा के रूप में देखा है। उनकी पारी ने भारतीय क्रिकेट में न सिर्फ उम्मीदों को बल दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि युवा खिलाड़ी किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।