Stock Market Live Updates:हाल ही में भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट देखने को मिली है। सुबह के समय में, सेंसेक्स 2,518 अंक यानी 3.34% गिरकर 72,845 पर आ गया। वहीं, निफ्टी 827.70 अंक यानी 3.61% की गिरावट के साथ 22,076 के आसपास पहुंच गया। इस गिरावट ने बाजार में हलचल मचा दी, और यह संकेत दिया कि अगर यह गिरावट और बढ़ती है, तो ट्रेडिंग को रोकने की जरूरत हो सकती है। इस लेख में, हम सर्किट ब्रेकर के बारे में जानेंगे और यह समझेंगे कि कब और क्यों ट्रेडिंग को रोका जा सकता है।
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सर्किट ब्रेकर क्या है?
सर्किट ब्रेकर एक ऐसा नियम है जो शेयर बाजार में अत्यधिक गिरावट या तेजी के दौरान लागू किया जाता है। इसका उद्देश्य बाजार में अत्यधिक घबराहट या अफरातफरी से बचना है। जब निफ्टी या सेंसेक्स में एक निर्धारित प्रतिशत (10%, 15%, या 20%) का उतार-चढ़ाव होता है, तो ट्रेडिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है। इसे मार्केट वाइड सर्किट ब्रेकर कहा जाता है और यह भारतीय शेयर बाजार में एक सुरक्षित उपाय के रूप में कार्य करता है।
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निफ्टी और सेंसेक्स सर्किट ब्रेकर के नियम
जब निफ्टी या सेंसेक्स की गिरावट 10%, 15%, या 20% से ज्यादा हो जाती है, तो पूरे शेयर बाजार में ट्रेडिंग को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है। यह रोकने का समय गिरावट की गहराई और दिन के समय पर निर्भर करता है।
सर्किट ब्रेकर कब ट्रिगर होता है?
जब निफ्टी या सेंसेक्स में से कोई एक 10%, 15%, या 20% की गिरावट (या वृद्धि) करता है, तो ट्रेडिंग को रोकने के लिए एक निर्धारित समय सीमा लागू होती है।
सर्किट ब्रेकर के बाद बाजार कैसे खुलेगा?
जब सर्किट ब्रेकर लागू हो जाता है, तो बाजार फिर से Pre-open Call Auction Session के जरिए खुलता है। यह एक 15 मिनट का सेटलमेंट सेशन होता है, जो बाजार खुलने से पहले होता है। इस समय के दौरान, व्यापारियों को यह अवसर मिलता है कि वे अपनी स्थितियों का आकलन करें और बाजार में शांतिपूर्वक प्रवेश करें।
कुल मिलाकर सर्किट ब्रेकर का प्रभाव
जैसे-जैसे गिरावट की गहराई बढ़ती है, वैसे-वैसे सर्किट ब्रेकर की रोक का समय भी बढ़ता है। इसका मुख्य उद्देश्य बाजार में किसी भी तरह की अत्यधिक घबराहट से बचना और स्थिरता बनाए रखना है। सर्किट ब्रेकर का सिस्टम बाजार के लिए एक सुरक्षात्मक उपाय है, जो निवेशकों को नुकसान से बचाने और एक सुरक्षित कारोबारी माहौल बनाए रखने में मदद करता है।