Bihar Politics: बिहार की राजनीति में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना के बाढ़ अनुमंडल के लदमा गांव में मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह से मुलाकात की। यह मुलाकात लंबे समय के बाद हुई और दोनों नेताओं के बीच पहले जैसी गर्मजोशी देखी गई। इस मुलाकात ने बिहार की सियासत में नए सवाल खड़े कर दिए हैं और राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
नीतीश कुमार अपने दिन भर के दौरे के दौरान बख्तियारपुर पहुंचे, जहां उन्होंने बख्तियारपुर-मोकामा 4 लेन सड़क पर बन रहे रेलवे ओवर ब्रिज और बख्तियारपुर करजान-ताजपुर सेतु का निरीक्षण किया। इसके बाद, उन्होंने बेलछी प्रखंड में नवनिर्मित प्रखंड सह अंचल भवन का उद्घाटन किया। भवन निर्माण की लागत 20 करोड़ 45 लाख 77 हजार रुपये थी। इन सरकारी कामकाजों के बाद मुख्यमंत्री का काफिला अचानक लदमा पहुंच गया, जहां अनंत सिंह की घर पर उनकी मुलाकात हुई।
सियासी मुलाकात के मायने
सीएम नीतीश कुमार और अनंत सिंह की मुलाकात को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। अनंत सिंह अगस्त में जेल से रिहा होने के बाद 25 अगस्त को मुख्यमंत्री आवास पर जाकर नीतीश कुमार से मिल चुके थे। उस मुलाकात को अनंत सिंह ने निजी कार्य से जोड़कर पेश किया था, लेकिन अब उनके घर लदमा में हुई मुलाकात ने नई सियासी हलचल पैदा कर दी है।
जेडीयू में लौटने की चर्चा हुई तेज
अनंत सिंह के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि वे एक बार फिर से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। अनंत सिंह पहले भी जेडीयू का हिस्सा रह चुके हैं और एक समय वे नीतीश कुमार के साथ मंच साझा करते थे। अब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि चुनावी मैदान में वे फिर से जेडीयू के साथ दिख सकते हैं।
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सियासत में नया सियासी समीकरण
अनंत सिंह के हालिया रिहाई और नीतीश कुमार के साथ मुलाकात ने बिहार की सियासत में नया समीकरण तैयार किया है। AK-47 मामले में पटना हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद अनंत सिंह की राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आई है। उनकी चुनाव लड़ने की घोषणा ने इस मुलाकात को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात का सियासी असर क्या होगा और बिहार की राजनीति में इसका क्या मतलब निकलता है। नीतीश कुमार और अनंत सिंह की मुलाकात को लेकर सियासी विश्लेषकों का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। यदि अनंत सिंह जेडीयू में लौटते हैं तो इससे पार्टी की ताकत बढ़ सकती है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर। दूसरी ओर, यह मुलाकात बिहार की राजनीति में नए समीकरणों की शुरुआत भी कर सकती है, जो कि अगले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।