New Delhi Railway Station Stampede:नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार देर रात हुई भगदड़ की घटना ने एक बार फिर पुराने दर्दनाक हादसों की याद ताजा कर दी है। इस घटना में 18 लोगों की जान चली गई और 25 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा महाकुंभ यात्रा के लिए प्रयागराज जा रहे यात्रियों की भीड़ के कारण हुआ था। जैसे ही यात्री ट्रेन बदलने के लिए एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म की ओर दौड़े, भगदड़ मच गई। यह घटना देश में पिछले कुछ सालों में हुई बड़ी भगदड़ घटनाओं की श्रृंखला का एक हिस्सा है, जिनमें सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं।
2010 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन

2010 में भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 2 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय भी स्टेशन पर यात्रियों की भारी भीड़ थी, और अनियंत्रित हो रही स्थिति के कारण यह हादसा हुआ। इस घटना ने रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था और प्रबंधन पर सवाल उठाए थे।
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2013 में प्रयागराज रेलवे स्टेशन

2013 में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भी भगदड़ मचने की घटना हुई, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। इस घटना का कारण भी भीड़ का अनियंत्रित होना और पर्याप्त सुरक्षा इंतजामों का न होना था। उस वक्त भी यात्री धार्मिक यात्रा के लिए प्रयागराज जा रहे थे, और अचानक से प्लेटफॉर्म पर भीड़ जमा हो गई, जिससे यह दर्दनाक हादसा हुआ।
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2012 में वर्धा रेलवे स्टेशन

2012 में भी वर्धा रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से कई लोग घायल हो गए थे। उस समय भी भारी भीड़ और उचित सुरक्षा इंतजामों की कमी ने इस हादसे को जन्म दिया। हालांकि, इस हादसे में किसी की मौत नहीं हुई, लेकिन घायल हुए लोगों की संख्या काफी अधिक थी।
2004 में कांचीवड़ रेलवे स्टेशन

2004 में कांचीवड़ रेलवे स्टेशन पर भी एक बड़ी भगदड़ मचने से कई लोग घायल हुए थे। उस वक्त यात्रियों की भारी भीड़ और प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त सुरक्षा नहीं होने के कारण यह हादसा हुआ। इस हादसे में भी कई लोग घायल हुए थे, लेकिन जानमाल का नुकसान ज्यादा नहीं हुआ था।
भगदड़ की घटनाओं से सीखी गई बातें
ये घटनाएं इस बात का संकेत देती हैं कि रेलवे और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर यात्रियों की भीड़ के प्रबंधन के लिए कड़े सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किए बिना यात्रा करना खतरनाक हो सकता है।

विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के दौरान रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर यात्रियों की अत्यधिक भीड़ होती है, जिससे ऐसे हादसों का होना एक आम बात बन गई है।हर बार ऐसे हादसों के बाद सुरक्षा सुधारों के लिए चर्चा होती है, लेकिन असल बदलाव अभी तक देखने को नहीं मिला। इस मामले में तत्कालीन प्रबंधन को सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।