Neeraj Chopra Life Story: पेरिस ओलंपिक 2024 में जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) का जीवन कई प्रेरणादायक कहानियों से भरा है. आज जिस नीरज चोपड़ा को हम एक ओलंपियन के रूप में देखते हैं, उनका बचपन इतना सहज नहीं था. हरियाणा (Haryana) के पानीपत जिले के खंडरा गांव में जन्मे नीरज बचपन में काफी मोटे हुआ करते थे, और इस कारण से उनके दोस्त और अन्य बच्चे उनका मजाक उड़ाया करते थे. न केवल उनके साथियों को, बल्कि उनके परिवार को भी नीरज के मोटापे की चिंता थी.
मोटापा कम करने की शुरुआत बनी खेल की नींव
बताते चले कि नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के परिवार ने उनके मोटापे को कम करने के लिए 13 साल की उम्र में उन्हें स्टेडियम ले जाना शुरू किया, ताकि वह दौड़ लगा सकें और वजन कम कर सकें. लेकिन नीरज का मन दौड़ में नहीं लगता था. एक दिन उन्होंने स्टेडियम में अन्य खिलाड़ियों को भाला फेंकते हुए देखा और उन्हें भी इस खेल में रुचि होने लगी. धीरे-धीरे नीरज ने भाला फेंकने में अपनी महारत हासिल करना शुरू किया, और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीरज की उपलब्धियां
नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी. वर्ष 2016 में, पोलैंड में आयोजित आईएएएफ वर्ल्ड यू-20 चैंपियनशिप में नीरज ने गोल्ड मेडल जीता, जिसमें उन्होंने 86.48 मीटर दूर भाला फेंका. इस शानदार प्रदर्शन के बाद नीरज को भारतीय सेना में नौकरी का प्रस्ताव मिला. उन्हें राजपूताना रेजिमेंट में जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) के पद पर नियुक्त किया गया.
टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज ने अपने करियर की सबसे बड़ी सफलता हासिल की, जब उन्होंने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद उन्हें नायब सूबेदार के पद पर प्रमोट कर दिया गया. नीरज ने न केवल अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से खुद को साबित किया, बल्कि देश का नाम भी ऊंचा किया.
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भारतीय सेना में नौकरी और परिवार की खुशी
भारतीय सेना में नौकरी पाने के बाद नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके परिवार में अब तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली थी और वह अपने परिवार के पहले सदस्य थे, जिन्हें यह अवसर प्राप्त हुआ. नीरज ने इसे अपने और अपने परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि इस नौकरी से वह अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकेंगे.