Nazul Land Bill: यूपी नजूल संपत्ति विधेयक विधान परिषद में अटका, सरकार की योजना और विरोध

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
Nazul Land Bill
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Nazul Land Bill: उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP) आलाकमान के दखल के बावजूद, विधानसभा से पारित उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (Management and Use for Public Purpose) विधेयक-2024 विधान परिषद में अटक गया है. समाजवादी पार्टी ने इस विधेयक के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी थी. इसके बावजूद योगी सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया और पास करा लिया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary) ने विधान परिषद में बिल को प्रवर समिति में भेजने की मांग की, जिसे अन्य सदस्यों ने भी समर्थन दिया. अब दो महीने बाद जब प्रवर समिति की रिपोर्ट आएगी, तब इस पर आखिरी फैसला हो पाएगा.

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नजूल विधेयक की प्रमुख बातें

नजूल विधेयक की प्रमुख बातें

इस नए कानून का उद्देश्य नजूल भूमि का इस्तेमाल विकास कार्यों में करना है. यदि बिल कानून बन गया, तो किसी भी निजी व्यक्ति या संस्था को नजूल प्रॉपर्टी (Nazul property) का पूर्ण स्वामित्व नहीं मिलेगा. नजूल भूमि के पूर्ण स्वामित्व परिवर्तन के संबंध में पहले से कोर्ट या प्राधिकारी के समक्ष लंबित आवेदन अस्वीकृत समझे जाएंगे. जिन नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने के लिए रकम जमा की गई है, उसे भारतीय स्टेट बैंक की ब्याज दर पर वापस किया जाएगा और आगे कोई नजूल भूमि फ्रीहोल्ड नहीं की जाएगी.

लीज की अवधि और मुआवजा

लीज की अवधि वर्ष 2025 से समाप्त होने के बाद जिलाधिकारी (District Magistrate) को पट्टाधारक का किराया तय कर वसूलने का अधिकार होगा। नजूल भूमि पर यदि कोई निर्माण है, तो उसके मुआवजे की भी व्यवस्था की गई है. इसके बावजूद, जिन लोगों या संस्थानों का इन पर स्वामित्व है, वे इस पर अपना कब्जा खोना नहीं चाहते.

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योगी सरकार की योजना

योगी सरकार की योजना

योगी सरकार नजूल प्रॉपर्टी को पूर्णत: अपने स्वामित्व में लेने के लिए कड़ी तैयारी कर चुकी है. शर्तों के उल्लंघन पर जिलाधिकारी की सिफारिश पर पट्टा अवधि और उसका क्षेत्रफल कम किए जाने या निरस्त किए जाने का प्रविधान रखा गया है. आखिरी फैसला होने से पहले पट्टाधारक को भी पक्ष रखने का मौका मिलेगा. जिलाधिकारी के निर्णय के विरुद्ध पट्टाधारक 30 दिन के भीतर सरकार में अपील भी कर सकेंगे.

नजूल भूमि का इतिहास

नजूल की जमीन का मतलब उन संपत्तियों (जमीनों) से होता है जिनका लंबे समय तक वारिस नहीं मिलता। इस स्थिति में ऐसी जमीनों पर राज्य सरकार का स्वत: अधिकार हो जाता है। आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने बगावत करने वाली रियासतों और आम लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया था। आजादी के बाद जिनके वारिसों ने रिकॉर्ड के साथ दावा किया, उन्हें उनकी जमीनें वापस मिलीं, लेकिन जिन पर कोई दावा नहीं आया, वे नजूल की जमीन बन गईं। इन जमीनों पर दशकों से लोग रह रहे हैं, और कुछ पर मेडिकल कॉलेज और अदालतें भी बन गई हैं।

बिल का विरोध

बिल का विरोध

इस बिल के विरोध में कई दलों और विधायकों ने आवाज उठाई. सपा विधायकों ने इसे जनविरोधी बताते हुए विधान सभा में नारेबाजी की. अनुप्रिया पटेल ने इस विधेयक को गैर जरूरी और जन भावना के खिलाफ करार देते हुए कहा कि इसे बिना व्यापक विचार विमर्श के जल्दबाजी में लाया गया और उन अधिकारियों को दंड दिया जाना चाहिए जिन्होंने सरकार को गुमराह किया.

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राजा भैया की टिप्पणी

राजा भैया की टिप्पणी

राजा भैया, जो CM योगी के समर्थक हैं, ने भी इस बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के गंभीर परिणाम होंगे और इलाहाबाद हाईकोर्ट भी नजूल की जमीन पर है, तो क्या उसे भी खाली करा लिया जाएगा?

योगी सरकार इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध

नजूल संपत्ति विधेयक के विरोध में कई दल और नेता खड़े हैं. इसके बावजूद योगी सरकार इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. अब देखने वाली बात होगी कि प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद इस विधेयक का क्या भविष्य होगा और किस तरह से सरकार और विपक्ष इसे संभालते हैं.

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