नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन का राजनीति से संन्यास, जानें क्यों लिया ये फैसला?

Mona Jha
By Mona Jha

VK Pandian Retirement:ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) की करारी हार के बाद नवीन पटनायक के करीबी वी के पांडियन राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। पांडियन ने राजनीति से संन्यास ऐसे वक्त पर लिया है जब बीजेडी राज्य में 24 साल बाद सत्ता से बाहर हुई।

BJD कार्यकर्ताओं की तरफ से पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए उन्हें जिम्मेदार माना जा रहा था। जिस वजह से उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया है। वहीं इस बात की जानकारी पांडियन ने 9 जून को एक वीडियो के जरिए दी है।

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वी के पांडियन ने सक्रिय राजनीति से लिया संन्यास

वीके पांडियन न तो 5 जून को नवीन पटनायक के साथ इस्तीफा देने के लिए राजभवन गए और न ही उनके आवास पर हुई पार्टी नेताओं की मीटिंग में शामिल हुए थे।VK पांडियन ने वीडियो जारी कर कहा -“मेरा राजनीति जॉइन करने का मकसद सिर्फ और सिर्फ नवीन बाबू (पटनायक) को सहयोग करना था।

अब मैंने सक्रीय राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। अगर इस यात्रा में मेरे से कोई गलती हुई तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूं। मेरे खिलाफ चलाए गए नैरेटिव अभियान से BJD को चुनाव में नुकसान हुआ तो मैं इसके लिए पूरे BJD परिवार से माफी चाहता हूं।BJD के लाखों कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं।”

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ओडिशा के लोकसभा-विधानसभा चुनाव के नतीजे

आपको बता दें कि ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों बीजेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी ने राज्य विधानसभा की 78 सीटें जीतकर बीजेडी के 24 साल के शासन को खत्म किया है। दूसरी तरफ, नवीन पटनायक की अगुवाई वाली पार्टी बीजेडी को 51 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने 14, सीपीआई (एम) ने एक सीट जीती है।

चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की है। वहीं नवीन पटनायक और उनकी पार्टी के लिए चौंकाने वाली बात यह भी रही कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। दूसरी तरफ बीजेपी ने राज्य की 20 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया, जबकि एक सीट कांग्रेस ने जीती।

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“ओडिशा के लोग तय करेंगे कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा”

हालांकि, चुनावों में पार्टी की करारी हार के संबंध में वीके पांडियन की आलोचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया में नवीन पटनायक ने शनिवार को कहा था कि पार्टी की हार के लिए पांडियन की आलोचना “दुर्भाग्यपूर्ण” है और उन्होंने कहा कि उन्होंने “शानदार काम” किया है। नवीन पटनायक ने यह भी दोहराया कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं और ओडिशा के लोग तय करेंगे कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।

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