नव निर्माण मंच ने 31 जुलाई को सभी निजी विद्यालय बंद रहने की घोषणा

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By Sharad Chaurasia
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बिहार(सरहसा): संवाददाता – शिवकुमार

सहरसा। एम्स निर्माण संघर्ष समिति द्वारा सहरसा में इसकी स्थापना को लेकर आगामी 31 जुलाई दिन सोमवार को जिला बंदी की घोषणा की गई है। सहरसा में एम्स की स्थापना हो। इसके लिए निर्माण समिति एवं अन्य संगठन पिछले 8 सालों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं। नव निर्माण मंच ने भी सहरसा में एम्स की स्थापना को लेकर प्रारंभ से ही आंदोलन और संघर्ष करता रहा है।

जिस समय बिहार में दूसरे एम्स की घोषणा हुई थी और उसके साथ दूसरे राज्यों 5 में और एम्स बनाने के बाद कही गई थी। जहां दूसरे राज्य सरकार ने केंद्र को ज़मीन उपलब्ध करा दिया था। जिसके बाद कार्य भी शुरू हुआ। उस वक्त भी नव निर्माण मंच ने सहरसा में एम्स की स्थापना को संघर्ष किया था। इसमें सहरसा जिला प्रशासन सर्वप्रथम जितना जमीन चाहिए। उसके लिए अनुशंसा की गई थी। लेकिन बाद में राज्य सरकार राजनीतिक कारणों से एम्स को सहरसा में ना बनाकर दरभंगा डीएमसीएच को एम्स बनाने की घोषणा कर दी गई।

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सहरसा जिलें में एम्स अस्पताल बनने की बढी मांग

Increased demand for construction of AIIMS hospital in Saharsa district

केंद्र सरकार ने इसको अस्वीकृत कर दिया, पुनः राज्य सरकार ने दरभंगा में ही दूसरे जमीन का प्रस्ताव भेज दिया। जिसे फिर से केंद्र सरकार ने यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया कि जमीन लो लैंड है। जमीन का निर्धारण राज्य सरकार को करना है, लेकिन राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण बिहार में दूसरा एम्स निर्माण अभी तक अधर में लटका हुआ है। जबकि सहरसा जिला में एम्स का निर्माण सभी मापदंडों को पूरा करता है।

नव निर्माण मंच ने सहरसा बंद रहने की घोषणा

यह राज्य सरकार द्वारा सहरसा वासियों के साथ अन्याय कर रही है। एम्स की स्थापना सहरसा में हो इसके लिए अब आंदोलन तेज हो गया है। इस कड़ी में 31 जुलाई को सहरसा महाबंद की घोषणा हुई है। नव निर्माण मंच की आवश्यक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सहरसा बंद को पूर्ण किया जाए। मंच विभिन्न राजनीतिक दल,सामाजिक संगठन,व्यापारियों, बुद्धिजीवियों, अधिवक्ताओं, मजदूरों, किसानों, कर्मचारियों और छात्राओं से आग्रह करता है कि इस बंद को पूर्ण समर्थन दिया जाए। जिससे सहरसा में एम्स के लिए चयनित जमीन का प्रस्ताव राज्य सरकार केंद्र सरकार को भेजें। इसलिए आप सभी सहरसा वासियों से प्रार्थना है कि अपने हक की लड़ाई को कमजोर ना होने दें।

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